निर्मित वाद सिद्धांत - प्रवर्तक - जेरोम ब्रूनर ■निर्मित वाद की उत्पत्ति जीन पियाजे के संज्ञानात्मक क्षेत्र से मानी जाती है ■ निर्मितवाद से आशय बालक के लिए ऐसे अधिगम योग्य वातावरण का निर्माण करना जिसमें बालक अपनी विषयवस्तु सरलतापूर्वक सीख सके ■ब्रूनर के अनुसार निर्मित वाद में बालकों को किसी भी प्रकार की विषय वस्तु का शिक्षण करवाने से पूर्व विषय वस्तु के नियम, प्रकृति, उद्देश्य एवं उसके सिद्धांतों की सामान्य जानकारी बालकों को पूर्व में ही प्रदान कर देनी चाहिए ऐसा करने पर- 1 सीखना सरल हो जाता है 2 रुचि उत्पन्न हो जाती है 3 स्थाई ज्ञान की प्राप्ति होती है 4 ज्ञान का स्थानांतरण संभव निर्मित वाद की विशेषताएं- 1 छात्र केंद्रित प्रक्रिया है 2 बालक अपने पूर्व अनुभव से ज्ञान ग्रहण करता है 3 बालक स्वयं ज्ञान का सृजन करता है 4 छात्रों की सक्रियता व तत्परता पर बल 5 बालको मैं आपसी सहयोग व साझेदारी की भावना जागृत करता है 6 बालकों के समक्ष चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां उत्पन्न कर अधिगम करवाया जाता है 7 बालकों में उत्तरदायित्व की भावना का विकास होता है निर्मित वाद की अवस्...
संविधान निर्माण के संबंध में भारतीय प्रयास - 1 बाल गंगाधर तिलक ने बम्बई मे स्वराज विधेयक के समय सर्वप्रथम संविधान के निर्माण की मांग की (1895) 2 मदन मोहन मालवीय ने भारतीयों के लिए आत्म निर्णय की मांग की (1918) 3 महात्मा गांधी ने कहा कि भारत के लोगों का राजनीतिक भविष्य स्वयं भारतीयों द्वारा निर्धारित किया जायेगा (1922) 4 तेज बहादुर सपू ने भारतीयों के लिए संविधान निर्माण की मांग की। (1924) 5 अग्रेज अधिकारी बक्रेन हेड ने भारतीय लोगो को चुनौती दी की आप संविधान का निर्माण कर ले, लेकिन कांग्रेस एंव मुस्लिम लीग दोनो के द्वारा इसे स्वीकार किया जाना अनिर्वाय है 6 1928 मे मोतीलाल नेहरू ने "नेहरूरिपोर्ट" तैयार की जो भारत के संविधान निर्माण में प्रथम प्रयास था 7 मुस्लिम लीग ने नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया एवं मोहम्मद अली जिन्ना ने नेहरू रिपोर्ट के विरोध में 14 सूत्री मांग पत्र जारी किया (1929) 8 1934 मे मानवेन्द्र नाथ राय (M.N राय) ने व्यक्तिगत रूप से संविधान निर्माण की मांग की 9 कांग्रेस ने अपने फेजपुर अधिवेशन मे संविधान सभा के गठन की मांग की 10 एक पार्टी या दल के रूप मे संविधान...
1 अनुकरण विधि - जब एक बालक पहली बार भाषा सीखने की शुरुआत करता है तो वह शिक्षक के कार्यो का अनुकरण करते हुए सीखता है अनुकरण तीन प्रकार का होता है 1 लेखन अनुकरण - जब एक शिक्षक बालक को लिखना सिखाता है तो उसके लिए वह अपने कार्यों का अनुकरण बालक से करवाता है अनुकरण करते हुए बालक लिखना सीखता है ■ लेखन अनुकरण भी दो प्रकार का होता है (A) रूपरेखा लेखन अनुकरण - जब एक शिक्षक बालक के सामने किसी वर्ण शब्द या अंक की रूपरेखा बनाकर दे देता है और वह बालक उस रूपरेखा के आधार पर वास्तविक वर्ण या शब्द की रचना कर लेता है (B) स्वतंत्र लेखन अनुकरण - जब एक शिक्षक के सामने किसी वर्णमाला गिनती शब्दों को एक साथ लिख देता है और कक्षा कक्ष में बैठे हुए बालक स्वतंत्र रूप से उसे देखते हुए लिखने का प्रयास करता है 2 उच्चारण अनुकरण - जब बालक को लिखना आ जाता है तो उसकी अगली आवश्यकता लिखित विषय वस्तु को बोलने या उच्चारित करने की होती है इसके लिए शिक्षक पहले स्वयं उच्चारण करता है और फिर बालक उसके साथ साथ उच्चारण करने लगता है पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के लिए प्रत्येक विद्याल...
Comments
Post a Comment