हिंदी भाषा शिक्षण विधि श्रुतलेखन विधि वाचन विधि सैनिक विधि
13 श्रुतिलेखन विधि - भाषा शिक्षण में जब एक शिक्षक सभी बालकों को शुद्ध शब्द लेखन सिखाने का प्रयास करता है तो इसके लिए वह पाठ के किसी हिस्से से 20 कठिन शब्दों का चुनाव करता है तथा स्वयं उन शब्दों को शुद्ध रूप में उच्चारण करता है एंव बालक सुनने के आधार पर शुद्ध रूप में लिखने का प्रयास करते हैं उसके बाद शिक्षक स्वयं प्रत्येक बालक की उत्तर पुस्तिका की जांच करता है और गलत पाए गए शब्दों के गोला लगाते हुए उन्हें खुद शुद्ध रूप से लिखता है और फिर बालक को 10-10 बार शुद्ध लिखने के लिए प्रेरित करता है ऐसा करने से बालक में शुद्ध शब्द लेखन का विकास होता है
गुण
● मनोवैज्ञानिक विधि है
● भाषा शुद्धता का विकास होता है
● बालक में समन्वय एवं लेखन कौशल में वृद्धि होती है
दोष -
● समय अधिक लगता है
● योग्य शिक्षकों का अभाव पाया जाता है
14 व्याकरण अनुवाद विधि - यह विधि अन्य भाषा सिखाते समय एक शिक्षक के द्वारा उपयोग में ली जाती है
◆ इसमें सबसे पहले शिक्षक अन्य भाषा की विषय वस्तु को बालक की मातृभाषा में अनुवादित करता है और अनुवाद करते समय अन्य भाषा के व्याकरण का ध्यान रखता है
◆ सबसे पहले भारतीय परिवेश में इस विधि का प्रयोग दक्षिण भारतीय शिक्षा शास्त्री श्री राम किशन गोपाल भंडारकर ने संस्कृत भाषा को सिखाते हुए किया था इसलिए इन्हीं के नाम पर इस विधि को भंडारकर विधि भी कहते हैं
◆ भारत देश में इस विधि के द्वारा फ्रेंच,जर्मन, फारसी, उर्दू, अंग्रेजी, लेटिन, संस्कृत भाषाओं को सिखने में प्रयोग में ली जाती है
15 वाचन विधि - वाचन से अभिप्राय अर्थ ग्रहण करते हुए पढ़ना होता है
● जब एक व्यक्ति या विद्यार्थी किसी लिखित सामग्री को ध्यान पूर्वक पड़ता है और पढ़ते हुए उसका अर्थ भी ग्रहण करता है तो वह वाचन कहलाता है
◆ कक्षा कक्ष में एक शिक्षक सबसे पहले वाचन करता है और फिर उसके बाद बालक अपने स्तर पर वाचन करते हुए अर्थग्रहण का प्रयास करता है
◆ डॉ धारनाथ चतुर्वेदी के अनुसार वाचन व्यक्ति का मित्र होता है इससे वह लंबी यात्रा के समय अथवा बीमारी के समय जब अकेले में होता है तो अपना समय गुजरता है
वाचन विधि के गुण -
◆ विषय वस्तु को स्मरण करने में मदद करती है
◆ बालक में स्वाध्याय के गुणों का विकास करती है
◆ बालक में अभ्यास से अर्थ ग्रहण की क्षमताएं बढ़ती है
दोष
● समय अधिक खर्च होता है
● पूर्व प्राथमिक कक्षाओं के लिए उपयोगी नहीं है
Note - एक बालक में सही प्रकार से वाचन की शुरुआत उच्च प्राथमिक कक्षाओं में होती है , विशेषकर मौन वाचन कक्षा 6 से शुरू होता है कुछ प्रतिभाशाली बालक ऐसे होते हैं जिनमें इसकी शुरुआत कक्षा 3 से हो जाती है
16 सैनिक विधि - द्वितीय विश्व युद्ध के समय जब अमेरीका में सैनिकों की कमी हो गई तो उस समय अमेरिकी सरकार ने कई सैनिकों को सेना में भर्ती कर लिया जो कि अनपढ़ थे बाद में अमरीका के सैनिक अधिकारियों ने पेज ब्लूमफील्ड आदि विद्वानों के विचारों के द्वारा एक विशेष प्रकार का प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जिससे आर्मी स्पेशल ट्रेनिंग प्रोग्राम (ASTP) नाम दिया गया और 15 से 20 सैनिकों वाले छोटे-छोटे ग्रुप बनाए गए और उन्हें मौखिक रूप से भाषा को पढ़ना सिखा दिया गया इस प्रकार से आज भी भाषा शिक्षण में दुनिया के किसी भी देश में जब मौखिक रूप से भाषा का ज्ञान दिया जाता है तो वह सैनिक विधि के नाम से जानी जाती है
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