सीखने के प्रतिफल

 सीखने के प्रतिफल - किसी शिक्षण प्रक्रिया में भाग लेने के दौरान छात्र द्वारा प्रदर्शित विशिष्ट ज्ञान कौशल जिन का मापन किया जा सके तथा वह उसे विशिष्ट कार्य करने में सहायता प्रदान करें तो इसे सीखने का प्रतिफल कहते हैं 

अथवा जो कुछ भी बच्चे ने सीखा है उसको जांचने अथवा उस परिणाम को देखने के मापदंड को अधिगम प्रतिफल के रूप में देखा जा सकता है

◆ किसी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में संपन्न होने के पश्चात बालक के व्यवहार प्रदर्शित होने वाले विशिष्ट ज्ञान कौशल क्षमता का आकलन करने की प्रक्रिया ही सीखने का प्रतिफल है 

■ सर्वप्रथम 1990 के दशक में ऑस्ट्रेलिया एवं दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में आउटकम बेसिक शिक्षा प्रणालियों का प्रारंभ हुआ इस शिक्षा प्रणाली को अमेरिका द्वारा सन् 1994 में अपनाया गया

◆ सीखने के प्रतिफल का निर्माण NCERT द्वारा किया गया

■ 2017 में NCERT ने एक सर्वे के माध्यम से यह निष्कर्ष प्राप्त किया की शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का आखिर प्रतिफल क्या निकला है यह भी सुनिश्चित रूप से पता होना ही चाहिए 

◆ इस को ध्यान में रखते हुए कक्षा 1 से ही सीखने के प्रतिफल का ब्यौरा तैयार किया गया और प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के लिए उसे व्यवस्थित किया गया 

● सीखने का प्रतिफल क्या ?

 प्रत्येक बालक अलग-अलग प्रकार से सीखता है एंव सीखने के बाद वह किस नतीजे या परिणाम तक पहुंचता है इसको जानने के लिए जो मापदंड विषयवार/कक्षावार तय किए जाते हैं उनकी प्राप्ति को ही अधिगम के सीखने के प्रतिफल के रूप में जानते हैं 

■ सीखने के प्रतिफल के संदर्भ में जो विचार दिए गए हैं उनमें तय किया गया है कि प्रत्येक बालक आगे की कक्षा में निरंतरता के साथ नवीन ज्ञान प्राप्त करें तथा उसे किस सीमा तक जानकारी हो प्रतिफल के संदर्भ में, उसके अधिकारी, शिक्षक अभिभावक एवं अन्य को जानने की जरूरत महसूस की गई है तथा उसी के लिए कक्षावार वर्गीकरण किया गया है 

■ सीखने के लिए लक्ष्य का निर्धारण शिक्षक केंद्रित होता है 

■ सीखने के प्रतिफल बाल केंद्रित होते हैं 

■ सीखने के प्रतिफल एक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से ही वास्तविक निष्कर्ष प्राप्त किया जाना संभव होता है

अधिगम प्रतिफल के प्रकार

1 संज्ञानात्मक कौशल - जब कोई विद्यार्थी या अधिगमकर्ता किसी  विषय वस्तु को सीखने के लिए अपने सोचने विचारने की प्रक्रिया में परिवर्तन करता है तो वह अपने व्यवहार में भी बदलाव करता है और सीखने के लिए विभिन्न प्रकार के अलग-अलग रणनीतियों का सहारा लेता है तो सीखने का यह प्रकार संज्ञानात्मक कौशल को दर्शाता है 

2 बौद्धिक कौशल - अधिगम प्रतिफल के इस प्रकार में विद्यार्थी या अधिगमकर्ता अवधारणाओं, नियमों अथवा प्रक्रियाओं का बोध कर रहा होता है या उनका बोध कर चुका होता है 

3 शाब्दिक प्रतिफल - अधिगम प्रतिफल के इस प्रकार में यह पता चलता है कि विद्यार्थी को शाब्दिक या मौखिक जानकारियों की प्राप्ति हुई है या नहीं हुई है

4 शारीरिक प्रतिफल - अधिगम का प्रतिफल विद्यार्थी के शारीरिक रूप से परिलक्षित होता है

5 मनोवृति - अधिगम प्रतिफल का यह प्रकार अधिगमकर्ता के आंतरिक स्थिति से संबंधित है जो उसके व्यवहार से पता चलती है

 सीखने के प्रतिफल की आवश्यकता

■ RTE- 2009 में यह तय किया गया कि 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बालकों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा दी जावे (पहली से आठवीं तक की शिक्षा) 

■ बालक को उसके आयु स्तर के अनुसार शिक्षा दी जावे

■ बालको को स्तरानुसार कौशल विकास एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाए 

■ शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किए जा रहे प्रयासों की जांच की जाए 

■ राष्ट्रीय स्तर पर शैक्षिक आकांक्षाओं की प्राप्ति के लिए कार्यों का क्रियान्वयन 

■ राज्य को शैक्षिक दृष्टिकोण से राष्ट्रीय स्तर पर विकसित करना

 सीखने के प्रतिफल के उद्देश्य 

◆ RTE-2009 के अनुसार 6 से 14 वर्ष के बालकों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण सुनिश्चित करना की

◆ शिक्षा शास्त्र, विषय की प्रकृति, विशेषताएं और सीखने के प्रतिफल में समन्वय बिठाना 

◆सीखने की निरंतरता एवं सीखने के प्रगति के स्तर को जांचने के लिए मापन हेतु मापदंड तय करना 

◆ शिक्षण की प्रक्रिया में सुधार करना 

◆ विषय वस्तु को बाह्य वातावरण से जोड़ना 

◆ अभिभावक को जागरूक बनाने के लिए 

■ सीखने के प्रतिफल की विशेषताएं

◆ विषयवार टिप्पणी का होना 

◆ पाठ्यचर्या की अपेक्षाएं (क्या परिवर्तन होने चाहिए)

◆ दीर्घकालीन लक्ष्यो का ज्ञान करवाना 

◆ कक्षावार प्रतिफल को परिभाषित करना 

◆ सीखने के प्रति फल विषय आधारित होने के साथ ही प्रक्रिया आधारित है

◆ सीखने के प्रतिफल एक प्रकार से जांच बिंदु होते हैं जिनसे मात्रात्मक एवं गुणात्मक परिवर्तन पहचाने जाते हैं 

◆ सीखने के प्रतिफल शिक्षक में - बालक की उपलब्धि क्या हो की समझ पैदा करते हैं जिससे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया स्पष्ट होती है 

★ शिक्षकों को चाहिए कि उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते हुए अधिगम प्रक्रिया को स्थानीय संदर्भ में पूर्णता तक करें

सीखने के प्रतिफल में मूल्यांकन - सीखने के प्रतिफल का कोई अलग से दस्तावेज उपलब्ध नहीं किया जाता है उल्लेखनीय है कि यह स्पाइरल रूप में प्रक्रिया है स्पाइरल प्रक्रिया का आशय है कि अधिगम प्रक्रिया में मूल्यांकन तक पहुंचा जाए एवं न्यून अधिगम क्षेत्र का पता लगाकर पता लगाकर पुुुनः शिक्षण करवाया जाए,  इस प्रक्रिया को तब तक जारी रखा जाए जब तक कि सीखने के प्रतिफल पूर्ण रूप से प्राप्त ना हो जाए

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