Psychology unit 3
विशिष्ट बालक- मनोवैज्ञानिक विचारधारा के अनुसार प्रत्येक बालक विशिष्ट होता है अपार जो बालक औसत दर्जे के बालकों से भिन्न होता है विशिष्ट बालक कहलाता है
प्रतिभाशाली बालक - वह बालक जो सामान्य बालकों की तुलना में श्रेष्ठ व्यवहार का प्रदर्शन करता है प्रतिभाशाली बालक कहलाता है
टर्मन के अनुसार - जिन बालकों की बुद्धि लब्धि 140 से अधिक होती है प्रतिभाशाली बालक कहलाते हैं
स्किनर के अनुसार - प्रतिभाशाली शब्द कक्षा के उन 1 प्रतिशत बालकों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जो सबसे अधिक बुद्धिमान होते हैं
कॉल सैनिक के अनुसार - प्रतिभाशाली बालक प्रत्येक क्षेत्र में श्रेष्ठ होते हैं तथा समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं
बर्ट के अनुसार - प्रतिभाशाली बालक जन्मजात होते हैं इन्हें बनाया नहीं जा सकता
क्रो एंड क्रो के अनुसार- शारीरिक संरचना की दृष्टि से प्रतिभाशाली बालक अन्य बालकों से भिन्न होते हैं
जेम्स ड्रेवर के अनुसार - सामान्य रूप से किसी क्षेत्र में उच्च बौद्धिक क्षमता रखने वाला बालक प्रतिभाशाली बालक होता है
प्रतिभाशाली बालकों की विशेषताएं -
◆ मानसिक रूप से स्वस्थ
◆ उच्च बुद्धि लब्धि
◆ नेतृत्व के गुण
◆ निर्णय क्षमता
◆ अमूर्त चिंतन की योग्यता
◆ कठिन विषयों में रूचि
◆ उत्तरदायित्व की क्षमता
◆ भाषा कौशल में दक्षता
◆ अध्ययन में रुचि
◆ समायोजन में सक्षम
◆ विशाल शब्द भंडार
◆ तार्किक क्षमता
◆ सहनशील व धैर्यवान
◆ सहयोग की भावना
प्रतिभाशाली बालकों की समस्याएं-
◆ परिवार के सदस्यों द्वारा महत्व ना देना
◆ परिवार विद्यालय व समाज में समायोजन की समस्या
◆ अधिगम योग्य वातावरण का नया होना
◆ योग्यता के अनुसार कार्य ने मिलना
◆ शिक्षकों की योग्यता
◆ मानसिक समस्याओं का तत्काल समाधान में होना
प्रतिभाशाली बालकों की शिक्षा
★ तीव्र प्रोन्नति
★ त्वरण प्रक्रिया
★ योग्य व प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति करना
★ योग्यता अनुसार मानसिक श्रम प्रदान करना
★ अतिरिक्त कक्षाओं की व्यवस्था करना
★ अधिगम योग्य वातावरण का निर्माण करना
★ व्यक्तिगत निर्देशन व परामर्श देना
★ वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना
★ पुस्तकालय सुविधाएं उपलब्ध कराना
★ प्रयोगशाला, प्रोजेक्ट, ह्यूरिस्टिक विधियों का प्रयोग द्वारा शिक्षा
★ छात्रवृत्ति की सुविधा प्रदान करना
★ नेतृत्व का प्रशिक्षण देना
Note- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में प्रतिभाशाली बालकों की शिक्षा के लिए नवोदय विद्यालय का सुझाव दिया गया
पिछड़े बालक- वह बालक जो सामान्य बालकों के अनुपात में निम्न योग्यता का प्रदर्शन करता है पिछड़ा वाला कहलाता है
बर्ट के अनुसार - शारीरिक सामाजिक संवेगात्मक एवं मानसिक दृष्टि से सामान्य बालकों के अनुपात में निम्न योग्यताओं का प्रदर्शन करने वाले बालक पिछड़े बालक कहलाते हैं
■ सामान्य पिछड़ा बालक - वह बालक जो अपने जीवन के अधिकांश क्षेत्रों में निम्न योग्यता का प्रदर्शन करता है वह सामान्य पिछड़ा बालक कहलाता है
● इन बालकों की सीखने की गति धीमी होती है
● इनकी बुद्धि लब्धि 80 से 90 के मध्य मानी जाती है
बर्ट के अनुसार - जो बालक अपनी आयु स्तर के अनुसार की कक्षा से एक सीढ़ी नीचे की कक्षा का कार्य करने में भी असमर्थ होते हैं, पिछड़े बालक कहलाते हैं
सामान्य पिछड़े बालकों की विशेषता
● मानसिक श्रम करने पर थकान
● आत्मविश्वास में कमी
● अंतर्मुखी प्रवृत्ति
● निर्णय करने में कठिनाई
● अनुकरण द्वारा सीखना
● जिज्ञासा की कमी
● तर्क वितर्क करने में असक्षम
सामान्य पिछड़े बालकों की शिक्षा
◆ कम मानसिक श्रम प्रदान करना
◆ व्यक्तिगत निर्देशन व परामर्श दिया जाना चाहिए
◆ शिक्षण सहायक सामग्री का प्रयोग करना चाहिए
◆ अतिरिक्त कक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए
◆ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए
शारीरिक पिछड़े बालक- वह बालक जो शारीरिक अंगों का संचालन करने में असक्षम हो शारीरिक पिछड़े बालक कहलाते हैं
● दैनिक जीवन के कार्यों में भाग न ले सकने वाला बालक शारीरिक पिछड़ा बालक कहलाता है
शारीरिक पिछले बालकों के प्रकार
1 दृष्टि बाधित बालक
● पूर्ण दृष्टिबाधित ● आंशिक दृष्टिबाधित
2 बहरे बालक
● पूर्ण बहरे ● आंशिक बहरे
3 गूंगे बालक
● हकलाने वाले ● पूर्ण गूंगे
शारीरिक पिछड़े बालकों की विशेषता
शारीरिक अंगों के संचालन संचालन में असक्षम
आत्मविश्वास में कमी
समायोजन की समस्या
दूसरों पर निर्भरता
हीन भावना के शिकार
एकांत प्रिय
शारीरिक पिछड़े बालकों की शिक्षा
■ दृष्टि बाधित बालकों को स्पष्ट उच्चारण व उभरे हुए अक्षरों का प्रयोग कर सिखाया जाना चाहिए
■ अंधे बालकों को ब्रेल लिपि द्वारा सिखाया जाना चाहिए
■ बहरे बालकों को सांकेतिक भाषा द्वारा सिखाया जाना चाहिए
■ गूंगे बहरे बालकों को ओष्ठ लिपि द्वारा सिखाया जाना चाहिए
■ इनके लिए विशिष्ट विद्यालयों की स्थापना की जानी चाहिए
■ विशिष्ट प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति की जानी चाहिए
■ शारीरिक पिछड़े बालकों को व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए
■ एक शारीरिक पिछड़ा बालक भी प्रतिभाशाली बालक हो सकता है
■ वर्तमान में शारीरिक पिछड़े बालकों के लिए दिव्यांग शब्द का प्रयोग किया जाता है
मानसिक रूप से पिछड़े बालक- वे बालक जो सामान्य बालकों के अनुपात में अधिगम निर्योग्यता को प्रकट करते हैं मानसिक रूप से पिछड़े बालक कहलाते हैं
टरमन के अनुसार - मानसिक पिछड़े बालकों की बुद्धि लब्धि 70 से कम होती है
स्किनर के अनुसार - अधिगम निर्योग्यता को प्रकट करने वाले बालक मानसिक पिछड़े बालक लाते हैं
● मानसिक पिछड़े बालक समय परिस्थिति के अनुसार निर्णय करने में असमर्थ होते हैं
◆ मानसिक मंदता का सबसे पहला अध्ययन फ्रांस में 1799 में जीन इटार्ड द्वारा विक्टर नामक बच्चे पर किया गया
■ L S पेनरोज ने अपनी पुस्तक biology off mental defect के अंतर्गत चार प्रकार की मानसिक दुर्बलताओं का वर्णन किया है
मंगोलिज्म - यह सर्वाधिक मानसिक दुर्बलता पाई जाती है इसमें बालकों की शारीरिक बनावट मंगोल जाति के लोगों से मिलती जुलती है इनका बौद्धिक स्तर (जड़ बुद्धि) 25 से कम होता है
क्रेटीनिज्म- येे बौने होते है हाथ पैर की अपेक्षा धड़ अधिक बड़ा होता है इनका बौद्धिक स्तर जड़ बुद्धि (25 से 50) होता है
माइक्रोसिफैली- इस दुर्बलता से ग्रसित व्यक्ति का आकार छोटा होता है सिर की परिधि अधिक से अधिक 17 इंच होती है
हाइड्रोसिफैली - इनका सिर का आकार बड़ा होता है तथा सिर की परिधि 28 इंच होती है
मानसिक पिछड़े बालकों की विशेषता
■ सीमित मात्रा में कल्पना
■ अभिप्रेरणा का निम्न स्तर
■ निर्णय क्षमता का अभाव
■ प्रतियोगी भावना का अभाव
■ वातावरण का शिकार
■ दूसरों पर निर्भरता
■ नैतिक व सामाजिक गुणों का अभाव
■ मानसिक श्रम का अभाव
मानसिक पिछड़ेपन के कारण
1 जन्म से पूर्व के कारण
● वंशकर्म का प्रभाव
● माता-पिता का स्वास्थ्य
● विकिरण का प्रभाव
● माता द्वारा नशीले पदार्थों का सेवन
2 जन्म के समय के कारण
◆ समय से पूर्व प्रसव
◆ प्रसव संबंधित दोष
◆ सेरिब्रल
3 जन्म के बाद के कारण
★ अचानक मस्तिष्क को क्षति
★ किसी दुर्घटना का होना
★ मादक पदार्थों का सेवन
★ तनाव व चिंता
मानसिक पिछड़े बालकों की शिक्षा -
◆ विशिष्ट विद्यालयों की स्थापना
◆ प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति की शिक्षा प्रदान करना
◆ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार
◆ छोटे समूह में शिक्षा प्रदान करना
◆ अध्ययन की गति धीमी करना
◆ मूर्त रूप से पढ़ाना
◆ पाठ का बार-बार दौरान करना
समस्यात्मक बालक - वे बालक जो सामान्य बालकों के अनुपात में अपने व्यवहार में अत्यधिक असमानताएं प्रकट करते हैं, समस्यात्मक बालक कहलाते हैं
वैलेंटाइन के अनुसार - समस्यात्मक बालक वे होते हैं जिनका व्यक्तित्व किसी भी बात में गंभीर नहीं होता
■ ये सामाजिक आदर्शों के विपरीत कार्य करना पसंद करते हैं
■ बर्ट ने समस्यात्मक बालक को के दो प्रकार बताएं
1 आक्रामक बालक - जो बालक अपने संवेगों को को तीव्र गति से प्रकट करते हैं, आक्रामक बालक कहलाते हैं
◆ इनमें धैर्य की कमी होती है तथा ये बालक कभी भी परिस्थिति के अनुसार व्यवहार नहीं करते
◆ आक्रामक बालकों को चोरी करना, झूठ बोलना , अनुशासनहीनता करना , पलायन करना अच्छा लगता है
★ इन बालकों में मिथोमेनिया व सिज़्रोफेनिया विकार पाया जाता है
2 दमित प्रवृति के बालक - वे बालक जो किसी अज्ञात आशंका/ डर के कारण अपने विचारों को प्रकट न करते हो, दमित बालक कहलाते हैं
◆ इनमें विचारों की अभिव्यक्ति का गुण नहीं होता
◆इनमें ईर्ष्या संवेग सर्वाधिक प्रबल होता है
दमित प्रवृत्ति के बालक
■ अंगूठा चूसने वाले
■ नाखून चबाने वाले
■ बिस्तर गिला करने वाले
समस्यात्मक बालकों की विशेषता
◆बड़ों का आदर ना करना
◆ चोरी करना
◆ झूठ बोलना
◆ अनुशासनहीनता करना
◆ समायोजन की समस्या
◆ विद्यालय से पलायन करना
◆ संवेगों में उग्रता
◆ परिपक्वता का अभाव
समस्यात्मक बालकों की शिक्षा
● आवश्यकतानुसार इनके कार्यों की प्रशंसा करनी चाहिए
● जिम्मेदारी पूर्ण कार्य प्रदान करने चाहिए
● खेल की ओर अग्रसर कर शारीरिक ऊर्जा का सही उपयोग किया जाना चाहिए
■ समस्यात्मक बालकों के व्यवहार में पाई जाने वाली समस्याओं का समाधान हेतु मनोविज्ञान की श्रेष्ठ विधि जीवन इतिहास विधि है जीवन इतिहास विधि का निर्माण टाइडमेंन किया , इसमें एक समय में एक ही बालक का चयन कर उसकी समस्या का समाधान किया जाता है
अपराधी बालक- जब कोई व्यवहार सामाजिक नियमों व आदर्शों के विरुद्ध किसी बालक द्वारा किया जाता है तो उसे बाल अपराध करते हैं
समायोजन के बाधक तत्व
1 संघर्ष / द्वंद - जब व्यक्ति के सम्मुख एक ही समय में दो समान महत्व की वस्तुएं उत्पन्न हो जाए और व्यक्ति को किसी एक का चयन करना पड़े तो उत्पन्न किया संघर्ष कहलाती है
(A) उपागम - उपागम द्वंद - जब व्यक्ति के समक्ष दो धनात्मक लक्ष्य हो
उदाहरण- पटवारी व ग्रामसेवक में से एक का चयन करना
(B) परिहार परिहार द्वंद - जब व्यक्ति के समय समक्ष दो नकारात्मक लक्ष्य हो
उदाहरण आगे कुआं पीछे खाई
(C) उपागम - परिहार द्वंद- जब व्यक्ति के सामने एक तरफ एक तरफ परिस्थिति प्रतिकूल हो जबकि दूसरी तरफ अनुकूल परिस्थिति हो
2 तनाव - समय परिस्थिति के अनुसार आवश्यकता की पूर्ति न होने पर उत्पन्न किया तनाव कहलाती है समय पर नौकरी नहीं मिलना जरूरत के समय पैसों का नया होना
3 दबाव - सफलता असफलता एवं समाज में प्रतिष्ठा बनाए रखने हेतु उत्पन्न किया दबाव कहलाती है उदाहरण प्रतियोगिता छात्र द्वारा तैयारी करना
4 भग्नाशा - निरंतर प्रयास करने के उपरांत भी जब व्यक्ति को सफलता प्राप्त नहीं होती है तो वह निराश हो जाता है उसी निराशा को भग्नासा या कुंठा कहते हैं क्योंकि भग्नासा के कारण व्यक्ति कार्य करना बंद कर देता है उदाहरण दसवीं में बार-बार फेल होने पर पढ़ाई छोड़ ना
5 दुश्चिंता - जो व्यक्ति के चेतन मन की कोई इच्छा पूर्ण नहीं होती है तो वह ऐसे तन मन में चली जाती है परंतु समय परिस्थिति के प्रभाव से वह इच्छा पुणे ए चेतन से अचेतन मन में आने का प्रयास करें तो उत्पन्न किया दुश्चिंता कहलाती है उदाहरण किसी को कुछ कहने की इच्छा होने पर भी कहने पाना दुश्चिंता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सिगमंड फ्रायड ने किया
समायोजन की रक्षा युक्तियां
1 प्रत्यक्ष
2 अप्रत्यक्ष
1 प्रत्यक्ष युक्तियां
★ बाधाओं को दूर करना
★ संसाधनों में परिवर्तन करना
★ उद्देश्यों का प्रतिस्थापन करना
★ विश्लेषण व निर्णय करना
कुसमायोजन- समायोजन की विपरीत प्रक्रिया है जब व्यक्ति की आवश्यकता एवं उन्हें प्रभावित करने वाले कारकों के मध्य संतुलन स्थापित नहीं होता है तो उसे कुसमायोजन कहते हैं
■ कुसमायोजन अंग्रेजी के mal- adjustment शब्द का हिंदी रूपांतरण है जिसका शाब्दिक अर्थ अपनी परिस्थितियों के साथ सामंजस्य स्थापित न होने से है
■ स्किनर के अनुसार - कुसमायोजन अधिगम निर्योग्यता को प्रकट करने वाली प्रक्रिया है
■ गेट्स के अनुसार- कुसमायोजन व्यक्ति के अस्थिर व्यक्तित्व को प्रकट करने वाली प्रक्रिया है
कुसमायोजित व्यक्ति की विशेषताएं =
★ मानसिक रूप से अस्वस्थ
★ नकारात्मक सोच
★ बाधाओं को देखकर घबराना
★ आकांक्षा की कमी
★ समस्या समाधान की योग्यता का अभाव
★ संवेगात्मक दृष्टि से अपरिपक्व
★ अपने परिस्थितियों पर नियंत्रण करने में असमर्थ
कुसमायोजित व्यक्ति के लक्षण
◆ संवेगो में उग्रता
◆ शारीरिक दोष
◆ नजरें चुराना
◆ पलायन करना
◆ नशीले पदार्थों का सेवन
◆ अनैतिक कार्य करना
कुसमायोजन के कारण
1 व्यक्तिगत कारण
● शरीर का रंग
● भद्दापन
● निम्न रुचि स्तर
● निम्न मानसिकता
● लंबी बीमारी
2 पारिवारिक कारण
■ माता-पिता के आपसी संबंध
■ भाई-बहन संबंध
■ परिवार का व्यवसाय
■ परिवार की आर्थिक स्थिति
3 विद्यालय वातावरण
◆ शिक्षक का व्यक्तित्व
◆ अधिगम योग्य वातावरण का नया होना
◆ साथी मित्रों का व्यवहार
समायोजन में शिक्षक की भूमिका- शिक्षक शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का कार्यवाहक होता है जिसके अभाव में शिक्षण प्रक्रिया का संचालन नहीं किया जा सकता
■ शिक्षक की भूमिका को निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझा समझा जा सकता है
★ अधिगम योग्य वातावरण का निर्माण करना
★ नवीन शिक्षण विधियों का प्रयोग करना
★ बालकों में अभिप्रेरणा में रुचि उत्पन्न करना
★ बाल केंद्रित गतिविधियों का संचालन करना
★ बालकों को सामाजिक अंतर संबंधों का ज्ञान कराना
★ बालकों को जीवन की वास्तविक स्थिति का ज्ञान कराना
★ निदानात्मक में उपचारात्मक शिक्षण का प्रयास करना
अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक =
अधिगम निर्योग्यता
6 मिथो मेनिया- झूठी प्रशंसा सुनना
7 A D H D- ध्यान केंद्रित न कर पाना
8 O C D- मस्तिष्क से किसी विचार का न हट पाना
■ अधिगम निर्योग्यता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1963 में सैमुअल क्रीक द्वारा किया गया
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