Psychology unit 3

 विशिष्ट बालक-  मनोवैज्ञानिक विचारधारा के अनुसार प्रत्येक बालक विशिष्ट होता है अपार जो बालक औसत दर्जे के बालकों से भिन्न होता है विशिष्ट बालक कहलाता है

प्रतिभाशाली बालक - वह बालक जो सामान्य बालकों की तुलना में श्रेष्ठ व्यवहार का प्रदर्शन करता है प्रतिभाशाली बालक कहलाता है 

टर्मन के अनुसार - जिन बालकों की बुद्धि लब्धि 140 से अधिक होती है प्रतिभाशाली बालक कहलाते हैं 

स्किनर के अनुसार - प्रतिभाशाली शब्द कक्षा के उन 1 प्रतिशत बालकों के लिए प्रयुक्त किया जाता है जो सबसे अधिक बुद्धिमान होते हैं 

कॉल सैनिक के अनुसार - प्रतिभाशाली बालक प्रत्येक क्षेत्र में श्रेष्ठ होते हैं तथा समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं 

बर्ट के अनुसार - प्रतिभाशाली बालक जन्मजात होते हैं इन्हें बनाया नहीं जा सकता 

क्रो एंड क्रो के अनुसार- शारीरिक संरचना की दृष्टि से प्रतिभाशाली बालक अन्य बालकों से भिन्न होते हैं

जेम्स ड्रेवर के अनुसार - सामान्य रूप से किसी क्षेत्र में उच्च बौद्धिक क्षमता रखने वाला बालक प्रतिभाशाली बालक होता है

प्रतिभाशाली बालकों की विशेषताएं -

◆ मानसिक रूप से स्वस्थ

◆ उच्च बुद्धि लब्धि

◆ नेतृत्व के गुण

◆ निर्णय क्षमता

◆ अमूर्त चिंतन की योग्यता

◆ कठिन विषयों में रूचि

◆ उत्तरदायित्व की क्षमता

◆ भाषा कौशल में दक्षता

◆ अध्ययन में रुचि

◆ समायोजन में सक्षम

◆ विशाल शब्द भंडार

◆ तार्किक क्षमता

◆ सहनशील व धैर्यवान

◆ सहयोग की भावना


प्रतिभाशाली बालकों की समस्याएं-

◆ परिवार के सदस्यों द्वारा महत्व ना देना

◆ परिवार विद्यालय व समाज में समायोजन की समस्या

◆ अधिगम योग्य वातावरण का नया होना

◆ योग्यता के अनुसार कार्य ने मिलना

◆ शिक्षकों की योग्यता

◆ मानसिक समस्याओं का तत्काल समाधान में होना


प्रतिभाशाली बालकों की शिक्षा

★ तीव्र प्रोन्नति

★ त्वरण प्रक्रिया 

★ योग्य व प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति करना

★ योग्यता अनुसार मानसिक श्रम प्रदान करना

★ अतिरिक्त कक्षाओं की व्यवस्था करना

★ अधिगम योग्य वातावरण का निर्माण करना

★ व्यक्तिगत निर्देशन व परामर्श देना

★ वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना

★ पुस्तकालय सुविधाएं उपलब्ध कराना

★ प्रयोगशाला, प्रोजेक्ट, ह्यूरिस्टिक विधियों का प्रयोग द्वारा शिक्षा 

★ छात्रवृत्ति की सुविधा प्रदान करना

★ नेतृत्व का प्रशिक्षण देना

 Note-  राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 में प्रतिभाशाली बालकों की शिक्षा के लिए नवोदय विद्यालय का सुझाव दिया गया


पिछड़े बालक-  वह बालक जो सामान्य बालकों के अनुपात में निम्न योग्यता का प्रदर्शन करता है पिछड़ा वाला कहलाता है

 बर्ट के अनुसार - शारीरिक सामाजिक संवेगात्मक एवं मानसिक दृष्टि से सामान्य बालकों के अनुपात में निम्न योग्यताओं का प्रदर्शन करने वाले बालक पिछड़े बालक कहलाते हैं 

■ सामान्य पिछड़ा बालक - वह बालक जो अपने जीवन के अधिकांश क्षेत्रों में निम्न योग्यता का प्रदर्शन करता है वह सामान्य पिछड़ा बालक कहलाता है 

● इन बालकों की सीखने की गति धीमी होती है

● इनकी बुद्धि लब्धि  80 से 90 के मध्य मानी जाती है

 बर्ट के अनुसार - जो बालक अपनी आयु स्तर के अनुसार की कक्षा से एक सीढ़ी नीचे की कक्षा का कार्य करने में भी असमर्थ होते हैं, पिछड़े बालक कहलाते हैं

सामान्य पिछड़े बालकों की विशेषता

● मानसिक श्रम करने पर थकान 

● आत्मविश्वास में कमी

● अंतर्मुखी प्रवृत्ति

● निर्णय करने में कठिनाई

● अनुकरण द्वारा सीखना

● जिज्ञासा की कमी

● तर्क वितर्क करने में असक्षम


सामान्य पिछड़े बालकों की शिक्षा

◆ कम मानसिक श्रम प्रदान करना 

◆ व्यक्तिगत निर्देशन व परामर्श दिया जाना चाहिए

◆ शिक्षण सहायक सामग्री का प्रयोग करना चाहिए

◆ अतिरिक्त कक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए 

◆ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए


शारीरिक पिछड़े बालक- वह बालक जो शारीरिक अंगों का संचालन करने में  असक्षम हो शारीरिक पिछड़े बालक कहलाते हैं

● दैनिक जीवन के कार्यों में भाग न ले सकने वाला बालक शारीरिक पिछड़ा बालक कहलाता है 

शारीरिक पिछले बालकों के प्रकार 

दृष्टि बाधित बालक

● पूर्ण दृष्टिबाधित  ● आंशिक दृष्टिबाधित 

 2 बहरे बालक 

● पूर्ण बहरे  ● आंशिक बहरे 

गूंगे बालक 

● हकलाने वाले  ● पूर्ण गूंगे

शारीरिक पिछड़े बालकों की विशेषता 

शारीरिक अंगों के संचालन संचालन में असक्षम 

आत्मविश्वास में कमी 

समायोजन की समस्या 

दूसरों पर निर्भरता 

हीन भावना के शिकार

एकांत प्रिय

शारीरिक पिछड़े बालकों की शिक्षा

■ दृष्टि बाधित बालकों को स्पष्ट उच्चारण व उभरे हुए अक्षरों का प्रयोग कर सिखाया जाना चाहिए 

■ अंधे बालकों को ब्रेल लिपि द्वारा सिखाया जाना चाहिए 

■ बहरे बालकों को सांकेतिक भाषा द्वारा सिखाया जाना चाहिए 

■ गूंगे बहरे बालकों को ओष्ठ लिपि द्वारा सिखाया जाना चाहिए 

■ इनके लिए विशिष्ट विद्यालयों की स्थापना की जानी चाहिए 

■ विशिष्ट प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति की जानी चाहिए 

■ शारीरिक पिछड़े बालकों को व्यवसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए

■  एक शारीरिक पिछड़ा बालक भी प्रतिभाशाली बालक हो सकता है 

■ वर्तमान में शारीरिक पिछड़े बालकों के लिए दिव्यांग शब्द का प्रयोग किया जाता है


मानसिक रूप से पिछड़े बालक-  वे बालक जो सामान्य बालकों के अनुपात में अधिगम निर्योग्यता को प्रकट करते हैं मानसिक रूप से पिछड़े बालक कहलाते हैं

 टरमन के अनुसार - मानसिक पिछड़े बालकों की बुद्धि लब्धि 70 से कम होती है

 स्किनर के अनुसार - अधिगम निर्योग्यता को प्रकट करने वाले बालक मानसिक पिछड़े बालक लाते हैं 

● मानसिक पिछड़े बालक समय परिस्थिति के अनुसार निर्णय करने में असमर्थ होते हैं 

◆ मानसिक मंदता का सबसे पहला अध्ययन फ्रांस में 1799 में जीन इटार्ड द्वारा विक्टर नामक बच्चे पर किया गया

■ L S पेनरोज ने अपनी पुस्तक biology off  mental defect के अंतर्गत चार प्रकार की मानसिक दुर्बलताओं का वर्णन किया है

मंगोलिज्म - यह सर्वाधिक मानसिक दुर्बलता पाई जाती है इसमें बालकों की शारीरिक बनावट मंगोल जाति के लोगों से मिलती जुलती है इनका बौद्धिक स्तर (जड़ बुद्धि) 25 से कम होता है

क्रेटीनिज्म-    येे बौने होते है हाथ पैर की अपेक्षा धड़ अधिक बड़ा होता है इनका बौद्धिक स्तर जड़ बुद्धि (25 से 50) होता है 

माइक्रोसिफैली-  इस दुर्बलता से ग्रसित व्यक्ति का आकार छोटा होता है सिर की परिधि अधिक से अधिक 17 इंच होती है 

हाइड्रोसिफैली - इनका सिर का आकार बड़ा होता है तथा सिर की परिधि 28 इंच होती है

मानसिक पिछड़े बालकों की विशेषता 

■ सीमित मात्रा में कल्पना 

■ अभिप्रेरणा का निम्न स्तर

■ निर्णय क्षमता का अभाव 

■ प्रतियोगी भावना का अभाव 

■ वातावरण का शिकार 

■ दूसरों पर निर्भरता

■ नैतिक व सामाजिक गुणों का अभाव

■ मानसिक श्रम का अभाव

मानसिक पिछड़ेपन के कारण

1 जन्म से पूर्व के कारण 

● वंशकर्म का प्रभाव

● माता-पिता का स्वास्थ्य 

 ● विकिरण का प्रभाव 

● माता द्वारा नशीले पदार्थों का सेवन 

2 जन्म के समय के कारण 

◆ समय से पूर्व प्रसव

◆ प्रसव संबंधित दोष

◆ सेरिब्रल

3  जन्म के बाद के कारण

★ अचानक मस्तिष्क को क्षति 

★ किसी दुर्घटना का होना 

★ मादक पदार्थों का सेवन 

★ तनाव व चिंता

मानसिक पिछड़े बालकों की शिक्षा - 

◆ विशिष्ट विद्यालयों की स्थापना 

◆ प्रशिक्षित अध्यापकों की नियुक्ति की शिक्षा प्रदान करना 

◆ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार 

◆ छोटे समूह में शिक्षा प्रदान करना 

 ◆ अध्ययन की गति धीमी करना

◆ मूर्त रूप से पढ़ाना

◆ पाठ का बार-बार दौरान करना


समस्यात्मक बालक - वे बालक जो सामान्य बालकों के अनुपात में अपने व्यवहार में अत्यधिक  असमानताएं प्रकट करते हैं, समस्यात्मक बालक कहलाते हैं

वैलेंटाइन के अनुसार - समस्यात्मक बालक वे होते हैं जिनका व्यक्तित्व किसी भी बात में गंभीर नहीं होता 

■ ये सामाजिक आदर्शों के विपरीत कार्य करना पसंद करते हैं 

■ बर्ट ने समस्यात्मक बालक को के दो प्रकार बताएं

 1 आक्रामक बालक - जो बालक अपने संवेगों को को तीव्र गति से प्रकट करते हैं, आक्रामक बालक कहलाते हैं 

◆ इनमें धैर्य की कमी होती है तथा ये बालक कभी भी परिस्थिति के अनुसार व्यवहार नहीं करते 

◆ आक्रामक बालकों को चोरी करना, झूठ बोलना , अनुशासनहीनता करना , पलायन करना अच्छा लगता है 

★ इन बालकों में मिथोमेनिया व सिज़्रोफेनिया विकार पाया जाता है 

2 दमित प्रवृति के बालक - वे बालक जो किसी अज्ञात आशंका/ डर के कारण अपने विचारों को प्रकट न करते हो, दमित बालक कहलाते हैं

◆ इनमें विचारों की अभिव्यक्ति का गुण नहीं होता 

◆इनमें ईर्ष्या संवेग सर्वाधिक प्रबल होता है 

दमित प्रवृत्ति के बालक 

  ■ अंगूठा चूसने वाले

  ■ नाखून चबाने वाले

  ■ बिस्तर गिला करने वाले 

समस्यात्मक बालकों की विशेषता

◆बड़ों का आदर ना करना

◆ चोरी करना

◆ झूठ बोलना

◆ अनुशासनहीनता करना

◆ समायोजन की समस्या

◆ विद्यालय से पलायन करना

◆ संवेगों में उग्रता

◆ परिपक्वता का अभाव

 समस्यात्मक बालकों की शिक्षा 

● आवश्यकतानुसार इनके कार्यों की प्रशंसा करनी चाहिए 

● जिम्मेदारी पूर्ण कार्य प्रदान करने चाहिए 

● खेल की ओर अग्रसर कर शारीरिक ऊर्जा का सही उपयोग किया जाना चाहिए 

■ समस्यात्मक बालकों के व्यवहार में पाई जाने वाली समस्याओं का समाधान हेतु मनोविज्ञान की श्रेष्ठ विधि जीवन इतिहास विधि है जीवन इतिहास विधि का निर्माण टाइडमेंन किया , इसमें एक समय में एक ही बालक का चयन कर उसकी समस्या का समाधान किया जाता है


अपराधी बालक- जब कोई व्यवहार सामाजिक नियमों व आदर्शों के विरुद्ध किसी बालक द्वारा किया जाता है तो उसे बाल अपराध करते हैं

स्किनर के अनुसार - बाल अपराध की परिभाषा किसी कानून के उल्लंघन के रूप में की जा सकती है जो किसी वयस्क द्वारा करने पर अपराध माना जाए

वैलेंटाइन के अनुसार - मोटे तौर पर बाल अपराध किसी कानून के भंग होने का उल्लेख करता है

न्यूमेयर के अनुसार - बाल अपराध का अर्थ समाज विरोधी व्यवहार से है जो व्यक्तिगत व सामाजिक विघटन उत्पन्न करता है

हिली के अनुसार - परिवार के सामाजिक नियमों से विचलित होने वाले बालकों को बाल अपराधी कहते हैं

गुडविन के अनुसार-  बाल अपराधी वह बालक होता है जो बार-बार उस कार्य को करने पर जोर देता है, जो दंडनीय माना जाता है

बाल अपराध के प्रकार- 
● चोरी करना
● झूठ बोलना
● हत्या करन
● धूम्रपान करना
● सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना
● बिना टिकट यात्रा करना
● अनुचित भाषा का प्रयोग करना
● हस्तमैथुन करना
● आत्महत्या के लिए उकसाना
● मादक पदार्थों का सेवन करना

■ एलिस नामक मनोवैज्ञानिक ने लिखा की अपराधी बालक बालिकाओं का अनुपात 80:20 है

बाल अपराध के कारण 
★  वंशक्रम 
★ वातावरण
★ निर्धनता
★ माता-पिता का व्यवहार
★ अपराधी लोगों का सरंक्षण
★ माता-पिता की नौकरी

अपराधी बालकों की शिक्षा
◆ उचित निर्देशन व परामर्श मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करना 
◆ प्रेम पूर्ण  व सहानुभूति पूर्ण व्यवहार 
◆उत्तरदायित्व के कार्य में व्यस्त रखना


वंचित व अलाभान्वित बालक - जो बालक समुदाय के सामाजिक व आर्थिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग से जुड़े होते हैं तथा विद्यालय रूपी सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं वंचित व अलाभान्वित बालक कहलाते हैं 

■ ऐसे बालकों में दूर-दराज में रहने वाले ग्रामीण तथा कच्ची बस्ती में रहने वाले बालक भी शामिल है जो गैर सुविधा युक्त विद्यालयों में अध्ययनरत हैं 

 ◆ ऐसे बालकों में निम्न शैक्षिक स्तर पाया जाता है
 ◆ अल्प भाषात्मक विकास होता है
 ◆ निम्न अभिव्यक्ति स्तर पाया जाता है
 ◆ अभिप्रेरणा का अभाव पाया जाता है
 ◆ गलत आदतों के शिकार होते हैं 
 ◆ बाहरी दुनिया में होने वाले परिवर्तनों से अनभिज्ञ होते हैं
 
शिक्षा व्यवस्था
● हस्तक्षेप द्वारा इन बालकों में सुधार किया जा सकता है 
● भाषा संवर्धन कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए
● आत्मविश्वास की भावना जागृत करनी चाहिए


सृजनशील बालक- जो बालक स्वयं की प्रेरणा तथा नये विचारों भावनाओ के साथ मौलिक कार्यों को करने की क्षमता जिन बालको में पाई जाती है, सृजनशील बालक कहलाते है

सृजनशील बालको की पहचान
◆ अन्य बालको की अपेक्षा अधिक कुशल
◆ इन की IQ उच्च होती है
◆ समायोजन तथा जोखिम उठाने वाले
◆ इनका व्यक्तित्व जटिल होता है
◆ बहिर्मुखी व्यक्तित्व

सृजनात्मक बालको की विशेषता 
◆ कल्पनाशीलता की प्रधानता
◆ मौलिकता का गुण
◆ संवेदनशीलता
◆ नमनीयता/ लोचशीलता
◆ विस्तारण
◆ समस्या समाधान की योग्यता
◆ कार्य मे निष्ठा
◆ जोखिम उठाने का उत्सुक
◆ उच्च ग्रहण क्षमता
◆ उच्च निर्णय क्षमता
◆ संवेगो मे स्थिरता



सृजनात्मकता-  किसी परंपरागत वस्तु में नवीन विशेषता उत्पन्न करने की मौलिक प्रक्रिया सृजनात्मकता क्या लाती है 

● सृजनात्मकता में नवीन वस्तुओं का निर्माण तो होता ही है किंतु पुरानी वस्तुओं के मौलिक गुण नष्ट नहीं होते 

◆ सृजनात्मकता अंग्रेजी के क्रिएटिविटी शब्द का हिंदी रूपांतरण है जिसकी उत्पत्ति creat शब्द से मानी जाती है जिसका शाब्दिक अर्थ पैदा करना से होता है

● क्रो एंड क्रो के अनुसार-  सृजनात्मकता मौलिक परिणामों को व्यक्त करने की मानसिक प्रक्रिया है 

◆ जेम्स ड्रेवर के अनुसार - सृजनात्मकता का संबंध नवीन वस्तु के उत्पादन से होता है 

◆ गिलफोर्ड के अनुसार -  सृजनात्मकता का संबंध नवीन उत्पाद उत्पादन उत्पादकता से होता है

■  टोरेंस के अनुसार - सृजनात्मकता ऐसी घटना है जिससे व्यक्ति एक नवीन संप्रत्यय का निर्माण करता है 

सृजनात्मकता का स्वरूप
●  सृजनात्मकता जन्मजात व अर्जित दोनों प्रकार की होती है 
● सृजनात्मकता में विविधता का गुण निहित होता है 
● सृजनात्मकता सार्वभौमिक होती है 
● सृजनात्मकता बुद्धि से भिन्न होती है


 नोट- सृजनात्मकता और बुद्धि में सकारात्मक संबंध है क्योंकि प्रतिभाशाली बालक कभी सृजनात्मक बालक नहीं हो सकता किंतु एक सृजनात्मक बालक प्रतिभाशाली हो सकता है 

■ सृजनात्मकता का संबंध अपसारी चिंतन से होता है 


■ सृजनात्मकता का उदय बालकों में बाल्यावस्था में ही उत्पन्न हो जाता है (30 वर्ष तक चरम सीमा)

 ★सृजनात्मकता में निरंतरता पाई जाती है 

सृजनात्मकता के तत्व 

1  धाराप्रवाह-  किसी परिस्थिति में व्यक्ति के द्वारा बिना रुकावट बोलना 

2 लोचशीलता - किसी विषय को विभिन्न आयामों से प्रकट करना 

3 मौलिकता-  किसी विषय वस्तु पर स्वयं के नए विचार 

4 संवेदनशीलता - प्रत्येक वस्तु के गुण दोषों की व्याख्या कर वास्तविक स्वरूप को स्वीकार करना

5 विस्तारण - विस्तृत व्याख्या करना

सृजनात्मकता के सोपान
1 मन के अनुसार -
तैयारी --- इनक्यूबेशन ---- सहज बोध ----- पुनरावृति

2 हरबर्ट के अनुसार- 
विश्लेषण  --- इनक्यूबेशन --- प्रेरणा --- सत्यापन

3 रॉबिंसन के अनुसार-
तैयारी --- इनक्यूबेशन --- प्रेरणा ---  सत्यापन

सृजनात्मकता के तत्व
गिलफोर्ड के अनुसार - 5
1 संज्ञान 
2 स्मरण 
3 अपसारी चिंतन 
4 अभिसारी चिंतन
 5 मूल्यांकन

बाकर मेहंदी के अनुसार
1 मौलिकता 
2 प्रवाहिकता
3 लचीलापन

सृजनात्मकता का मापन 
■ सृजनात्मकता का मापन किया जा सकता है 

■ सृजनात्मकता के मापन का प्रमुख प्रयास गिलफोर्ड ने किया 

■ भारत में बी के पासी के द्वारा 1972 में स्कूल बालकों की सृजनात्मकता का मापन करने के लिए सृजनात्मक परीक्षण बनाया गया 

■ 1973 में बाकर मेहंदी के द्वारा सृजनात्मक चिंतन की परीक्षण श्रंखला में दो परीक्षणों का निर्माण किया गया यह परीक्षण लचीलापन, मौलिकता, धारा प्रवाहिकता,  विस्तारण का मापन करते हैं

■ सृजनात्मकता का मापन अपसारी चिंतन पर आधारित है

■ टोरेंस ने शाब्दिक और अशाब्दिक परीक्षणों का निर्माण किया इन परीक्षणों के माध्यम से निरंतरता, नवीनता , मौलिकता को मापने का प्रयास किया जाए गया है प्रत्येक परीक्षण की समय अवधी 10 मिनट होती है

■ हिंदी में निर्मित परीक्षणों में सबसे अधिक प्रचलित परीक्षण बाकर मेहंदी का है इस परीक्षण को निर्देश देने में अनुकया करने में 50 मिनट का समय लगता है

■ बाकर मेहंदी के चार शाब्दिक और दो अशाब्दिक परीक्षण है इन परीक्षणों में नमनीयता, मौलिकता, धारा प्रवाहिता, कल्पनाशीलता के आधार पर अंक देखकर पर प्राप्तांक प्राप्त किए जाते हैं


समायोजन- 
समायोजन अंग्रेजी के ADJUSTMENT शब्द का हिंदी रूपांतरण है जिसका शाब्दिक अर्थ अपनी परिस्थितियों या वातावरण के साथ संतुलन स्थापित करने से माना जाता है 

■ समय परिस्थिति के अनुसार अपने व्यवहार में परिवर्तन करना अनुकूलन कहलाता है अतः अपनी परिस्थितियों के साथ अनुकूलन करने की प्रक्रिया ही समायोजन है 

■ समायोजन सम + आयोजन दो शब्दों से मिलकर बना है सम का अर्थ अच्छी तरह से तथा आयोजन का अर्थ व्यवस्था करना  अथार्थ समायोजन से तात्पर्य है समय परिस्थिति व आवश्यकता के अनुसार अपने आपको व्यवस्थित करना

 विशेष अर्थ में - अपनी आवश्यकताओं एवं उन्हें प्रभावित करने वाले कारकों के मध्य संतुलन स्थापित करने की प्रक्रिया समायोजन है
 
स्किनर के अनुसार - समायोजन अधिगम में वृद्धि करने की प्रक्रिया है 

बोरिंग व लेंगफील्ड के अनुसार - व्यक्ति के आवश्यकताओ एवं उन्हें प्रभावित करने वाले कारकों के मध्य संतुलन स्थापित करने की प्रक्रिया समायोजन कहलाती है

गेट्स के अनुसार - अपनी आवश्यकता पूर्ति हेतु स्वयं के व्यवहार में परिवर्तन करने की प्रक्रिया समायोजन है

कोलमैन के अनुसार - समायोजन तनाव संघर्ष एवं समस्याओं से बाहर निकलने की प्रक्रिया है 

◆समायोजन की प्रकृति 
● निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है 
● व्यक्ति व वातावरण के बीच संतुलन की क्रिया है
● समायोजन उपलब्धि पर प्रक्रिया दोनों है
● यथार्थ पर आधारित है 
● समायोजन तनाव व कुंठा का ह्यास करता है 
● आवश्यकता व परिस्थितियों के मध्य संतुलन की प्रक्रिया समायोजन है 
● शारीरिक व मानसिक संतुलन स्थापित करने की प्रक्रिया है 

समायोजित व्यक्ति की विशेषताएं

● मानसिक रूप से स्वस्थ
● सकारात्मक सोच
● निर्णय क्षमता 
● अध्ययन में रुचि 
● एक लक्ष्य पर टिके रहना
● बाधाओं का सामना करना
● आत्मविश्वास
● व्यवहार में लचीलापन
● अच्छाइयों व कमजोरियों का ज्ञान

 समायोजन के बाधक तत्व
  ● तनाव 
 ● दुश्चिंता 
 ● दवाब 
 ● भग्नासा या कुंठा 
 ● संघर्ष 

जब व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं एवं उन्हें प्रभावित करने वाले कारकों के मध्य संतुलन स्थापित करने में असफल रहता है तो व्यक्ति को समायोजित हो जाता है तथा उसके बाद समायोजन की प्रक्रिया संचालित होती है

समायोजन के बाधक तत्व

1 संघर्ष / द्वंद - जब व्यक्ति के सम्मुख एक ही समय में दो समान महत्व की वस्तुएं उत्पन्न हो जाए और व्यक्ति को किसी एक का चयन करना पड़े तो उत्पन्न किया संघर्ष कहलाती है

(A) उपागम - उपागम द्वंद - जब व्यक्ति के समक्ष दो धनात्मक लक्ष्य हो

 उदाहरण-  पटवारी व ग्रामसेवक में से एक का चयन करना

(B) परिहार परिहार द्वंद - जब व्यक्ति के समय समक्ष दो नकारात्मक लक्ष्य हो 

उदाहरण आगे कुआं पीछे खाई

(C) उपागम - परिहार द्वंद- जब व्यक्ति के सामने एक तरफ एक तरफ परिस्थिति प्रतिकूल हो जबकि दूसरी तरफ अनुकूल परिस्थिति हो

2 तनाव - समय परिस्थिति के अनुसार आवश्यकता की पूर्ति न होने पर उत्पन्न किया तनाव कहलाती है समय पर नौकरी नहीं मिलना जरूरत के समय पैसों का नया होना

3 दबाव - सफलता असफलता एवं समाज में प्रतिष्ठा बनाए रखने हेतु उत्पन्न किया दबाव कहलाती है उदाहरण प्रतियोगिता छात्र द्वारा तैयारी करना

4 भग्नाशा - निरंतर प्रयास करने के उपरांत भी जब व्यक्ति को सफलता प्राप्त नहीं होती है तो वह निराश हो जाता है उसी निराशा को भग्नासा या कुंठा कहते हैं क्योंकि भग्नासा के कारण व्यक्ति कार्य करना बंद कर देता है उदाहरण दसवीं में बार-बार फेल होने पर पढ़ाई छोड़ ना

5 दुश्चिंता - जो व्यक्ति के चेतन मन की कोई इच्छा पूर्ण नहीं होती है तो वह ऐसे तन मन में चली जाती है परंतु समय परिस्थिति के प्रभाव से वह इच्छा पुणे ए चेतन से अचेतन मन में आने का प्रयास करें तो उत्पन्न किया दुश्चिंता कहलाती है उदाहरण किसी को कुछ कहने की इच्छा होने पर भी कहने पाना दुश्चिंता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सिगमंड फ्रायड ने किया

समायोजन की रक्षा युक्तियां 

1 प्रत्यक्ष 

2 अप्रत्यक्ष

1 प्रत्यक्ष युक्तियां

★ बाधाओं को दूर करना

★  संसाधनों में परिवर्तन करना 

★ उद्देश्यों का प्रतिस्थापन करना

★ विश्लेषण व निर्णय करना

समायोजन की अप्रत्यक्ष युक्तियां 

1 प्रक्षेपण - अपनी असफलता का दोष किसी और पर लगाकर अपने आप को संतुष्ट कर लेना 

उदाहरण-  नाच न जाने आंगन टेढ़ा 

2 औचित्यस्थापन-  उद्देश्य की प्राप्ति न होने पर उद्देश्य में ही कमी निकालना 
उदाहरण - अंगूर खट्टे हैं
           ★ऊंची दुकान फीके पकवान 

3 विस्थापन - अपने आक्रोश को उस जगह व्यक्त करना जहां पुनः  आक्रमण की संभावना न हो
 
उदाहरण - पिता द्वारा पीटे जाने पर घर से बाहर जाकर कुत्ते को पत्थर मारना 
★ शिक्षक द्वारा पिटाई करने पर घर जाकर छोटे भाई को पीटना  

4 तादात्त्मीकरण - समायोजन स्थापित करने हेतु  किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के साथ संबंध स्थापित कर प्रतिष्ठित व्यक्ति जैसा व्यवहार करना

 उदाहरण - पुलिस द्वारा रोकने पर किसी राजनेता का नाम लेना 

5 प्रतिगमन - वर्तमान की तनावपूर्ण स्थिति से बचने के लिए अपनी पूर्व स्थिति की ओर लौटना प्रतिगमन है 

 उदाहरण - व्यस्क द्वारा बच्चों की तरह फूट फूट कर रोना 

6 प्रतिक्रमण - अपने मूल स्वभाव के विपरीत व्यवहार करना 

उदाहरण - सौतेली मां द्वारा दूसरों के सामने बच्चे को लाड प्यार करना 

7 क्षतिपूर्ति - किसी एक क्षेत्र में पिछड़ने पर दूसरे क्षेत्र द्वारा उसकी पूर्ति करना क्षतिपूर्ति है

 उदाहरण - कम ऊंचाई वाली लड़की द्वारा हील वाली चप्पल पहनना 

8 उदात्तीकरण - असामाजिक मूल प्रवृत्तियों को सामाजिक परिवर्तनों में परिवर्तित करना 

उदाहरण - प्रेम में असफल युवक का आईएएस बनना 

9 दमन - चेतन मन की दुखदाई बातों को बलपूर्वक अचेतन मन में डालना दमन कहलाता है 

उदाहरण - अपने प्रिय मित्र के किसी राज को प्रकट न करना 

10 शमन - अपने अचेतन मन की किसी बात को तत्काल ध्यान से निकालने की प्रक्रिया शमन कहलाती है
 उदाहरण-  प्रातः काल दूधवाले से हुए झगड़े को भूलकर दिन भर के कार्यों में लग जाना 

11 विपरीत मनोरचना - अपनी वास्तविक स्थिति से अलग बताने की प्रक्रिया भी विपरित मनोरचना है 

उदाहरण - अच्छा हुआ मेरे पास कार नहीं है नहीं तो मेरा व्यायाम ही नहीं हो पाता 

12 शारीरिक मनो रचना - समायोजन हेतु शारीरिक बीमारियों का बहाना बनाना 
उदाहरण - गृह कार्य न करने पर पेट दर्द का बहाना बनाना 

13 दिवास्वपन - चेतन मन की कोई इच्छा पूर्ण न होने पर कल्पना के माध्यम से संतुष्टि प्राप्त करना 
उदाहरण - बेरोजगार का कल्पना में आईएएस बनना 

14 पृथक्करण - तनाव वाली स्थिति से बचने के लिए अपने आप को उस स्थिति से अलग कर लेना 

उदाहरण - घर में लड़ाई झगड़ा होने पर थोड़ी देर के लिए उठ कर घर से बाहर चले जाना 

15 अन्त प्रेक्षण - वातावरण में अपने आप को सम्मिलित करना 

उदाहरण - किसी के दुख में दुखी होकर उसके जैसा अनुभव करना


कुसमायोजन-  समायोजन की विपरीत प्रक्रिया है जब व्यक्ति की आवश्यकता एवं उन्हें प्रभावित करने वाले कारकों के मध्य संतुलन स्थापित नहीं होता है तो उसे कुसमायोजन कहते हैं

■ कुसमायोजन अंग्रेजी के mal- adjustment शब्द का हिंदी रूपांतरण है जिसका शाब्दिक अर्थ अपनी परिस्थितियों के साथ सामंजस्य स्थापित न होने से है 

■ स्किनर के अनुसार - कुसमायोजन अधिगम निर्योग्यता को प्रकट करने वाली प्रक्रिया है

■  गेट्स के अनुसार-  कुसमायोजन व्यक्ति के अस्थिर व्यक्तित्व को प्रकट करने वाली प्रक्रिया है

 कुसमायोजित व्यक्ति की विशेषताएं =

★ मानसिक रूप से अस्वस्थ

★ नकारात्मक सोच

★ बाधाओं को देखकर घबराना

★ आकांक्षा की कमी

★ समस्या समाधान की योग्यता का अभाव

★ संवेगात्मक दृष्टि से अपरिपक्व

★ अपने परिस्थितियों पर नियंत्रण करने में असमर्थ

 

कुसमायोजित व्यक्ति के लक्षण

◆ संवेगो में उग्रता

◆ शारीरिक दोष

◆ नजरें चुराना

◆ पलायन करना

◆ नशीले पदार्थों का सेवन

◆ अनैतिक कार्य करना

कुसमायोजन के कारण

1 व्यक्तिगत कारण

● शरीर का रंग

● भद्दापन

● निम्न रुचि स्तर

● निम्न मानसिकता

● लंबी बीमारी

2 पारिवारिक कारण

■ माता-पिता के आपसी संबंध

■ भाई-बहन संबंध

■ परिवार का व्यवसाय

■ परिवार की आर्थिक स्थिति

3 विद्यालय वातावरण

◆ शिक्षक का व्यक्तित्व

◆ अधिगम योग्य वातावरण का नया होना

◆ साथी मित्रों का व्यवहार


समायोजन में शिक्षक की भूमिकाशिक्षक शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का कार्यवाहक होता है जिसके अभाव में शिक्षण प्रक्रिया का संचालन नहीं किया जा सकता 

■ शिक्षक की भूमिका को निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझा समझा जा सकता है

★ अधिगम योग्य वातावरण का निर्माण करना

★ नवीन शिक्षण विधियों का प्रयोग करना

★ बालकों में अभिप्रेरणा में रुचि उत्पन्न करना

★ बाल केंद्रित गतिविधियों का संचालन करना

★ बालकों को सामाजिक अंतर संबंधों का ज्ञान कराना

★ बालकों को जीवन की वास्तविक स्थिति का ज्ञान कराना

★ निदानात्मक में उपचारात्मक शिक्षण का प्रयास करना


अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक =

छात्र से संबंधित कारक =
◆ अभिप्रेरणा
◆ सीखने की इच्छा शक्ति
◆ आयु एंव परिपक्वता
◆ बुद्धि
◆ अभ्यास
◆ सीखने का समय
◆ शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य
◆ सीखने वाले की अभिवृत्ति
◆ सीखने की विधि
◆ सीखने की अवधि
◆ शैक्षिक पृष्ठभूमि

शिक्षक से संबंधित कारक
◆ शिक्षक का व्यक्तित्व
◆ विषय वस्तु का ज्ञान
◆ मनोविज्ञान का ज्ञान
◆ छात्र शिक्षक संबंध
◆ विषय वस्तु का प्रस्तुतीकरण
◆ अनुभव
◆ समय सारणी

विषय वस्तु से संबंधित कारक
◆ विषय वस्तु का क्रम 
◆ विषय वस्तु की भाषा शैली
◆ विषय वस्तु की उद्देश्य पूर्णता
◆ विषय वस्तु की स्पष्टता
◆ विषय वस्तु का स्वरूप
◆ विषय वस्तु की प्रकृति
◆ विषय वस्तु का आकार

वातावरण से संबंधित कारक
◆ परिवार
◆ विद्यालय
◆ खेल का मैदान
◆ वातावरण


अधिगम निर्योग्यता

 जिन बालकों को भाषा को लिखने, पढ़ने, समझने आदि में शारीरिक, मानसिक या अन्य किसी कारण से बाधा उत्पन्न होती है अधिगम निर्योग्यता कहलाती है, ऐसे बालकों को वर्तनी संबंधी अशुद्धियां व  अंकगणितीय गणना करने में भी बाधा उत्पन्न होती है ऐसे बालकों के पीछे मानसिक सरंचना व क्रियाकलापों में विभेद होना भी एक कारण है 

■ अधिगम निर्योग्यता निम्न प्रकार की होती है

1 डिसग्राफिया - लेखन संबंधी अक्षमता

2 डिसलेक्सिया - पठन या वाचन  संबंधी अक्षमता

3 डिस्केलकुलिया - गणितीय विकार 

4 डिस्प्रेक्सिया - लेखन पठन व गणितीय विकार

5 अफेजिया - भाषाघात का होना

6 मिथो मेनिया- झूठी प्रशंसा सुनना

7 A D H D- ध्यान केंद्रित न कर पाना

8 O C D- मस्तिष्क से किसी विचार का न हट पाना

■ अधिगम निर्योग्यता शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1963 में सैमुअल क्रीक द्वारा किया गया

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