भाषा शिक्षण
भाषा - भाषा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के भाष धातु से हुई है भाष धातु से अर्थ है प्रकट करना
★ जिस माध्यम से हम अपने मन के भाव व मस्तिष्क के विचार बोलकर प्रकट करते हैं उसे भाषा कहा जाता है
● व्यापक अर्थ में भाषा वह साधन है जिसके माध्यम से हम सोचते हैं और अपने विचारों को व्यक्त करते हैं
■ भाषा वह साधन है,जिसमें विचारों का आदान-प्रदान होता है
◆ स्वीट के अनुसार - ध्वन्यात्मक शब्दों द्वारा विचारों का प्रकटीकरण ही भाषा है
◆ सीताराम चतुर्वेदी के अनुसार- भाषा के आर्विभाव से यह संसार गूंगो की विराट बस्ती होने से बच गया
◆ सुमित्रानंदन पंत के अनुसार - भाषा संसार का नादमय स्वरूप है ध्वनिमय संगीत है और हृदय तंत्र की झंकार है जिसके स्वर से अभिव्यक्ति होती है
◆ डॉ भोले नाथ तिवारी के अनुसार- भाषा उच्चारण अवयवों से उच्चारित यादृच्छिक ध्वनि की व्यवस्था है जिसके द्वारा एक समाज के लोग आपस में भावो ओर विचारों का आदान प्रदान करते हैं
◆ क्रोंचे के अनुसार- भाषा अभिव्यक्ति की दृष्टि से उच्चरित एवं सीमित ध्वनियों का संगठन है
◆ बाबूराम सक्सेना के अनुसार - मनुष्य जिन ध्वनि चिह्नों द्वारा परस्पर विचारोंं का आदान प्रदान करते हैं ,भाषा कहलाती है
◆ प्लेटो के अनुसार - विचार आत्मा की मूक या अध्वन्यात्मक बातचीत है पर वही जब ध्वन्यात्मक होकर होठों पर प्रकट होती है तो उसे भाषा की संज्ञा देते हैं
भाषा की प्रकृति / विशेषताएं
■ भाषा अर्जित संपत्ति है
■ भाषा अनुकरण जन्य प्रक्रिया है
■ भाषा परंपरागत है अतः व्यक्ति उसका अर्जन कर सकता है परन्तु उत्त्पन्न नहीं कर सकता
■ भाषा चीर परिवर्तनशील है
■ भाषा का कोई अंतिम स्वरूप नहीं है
■ प्रत्येक भाषा का मानक स्वरूप होता है
■ प्रत्येक भाषा का निश्चित भौगोलिक क्षेत्र होता है
■ भाषा हमेशा संयोग अवस्था से वियोग अवस्था की ओर बढ़ती है
■ भाषा हमेशा कठिनता से सरलता की ओर गमन करती है
भाषा के सोपान
1 जिज्ञासा - एक बालक जिस परिवार या वातावरण में जन्म लेता है वह उसी परिवार या वातावरण के लोगों के द्वारा बातचीत के आधार पर होने वाले व्यवहार को देखता है तथा उसमें ऐसा ही करने की जिज्ञासा उत्पन्न होती है और उस जिज्ञासा के ही वशीभूत होकर उसी प्रकार की ध्वनि प्रकट करने का प्रयास करता है
2 अनुकरण - जब एक शिक्षक की भांति परिजन उस बालक को किसी ध्वनि के उच्चारण सुनाते हैं तो वह बालक सीखने वाले की भाँति उनका अनुकरण करते हुए उसी प्रकार का उच्चारण का प्रयास करता है इससे उनमें शब्दों का बोलना पैदा हो जाता है
3 अभ्यास- जब किसी बालक में शब्द का उच्चारण पैदा हो जाता है तो वे उसका बार-बार अभ्यास करते हुए उन शब्दों को स्थाई बना लेता है और इस प्रकार से एक बालक में भाषा का विकास हो जाता है
भाषा के रूप- भाषा को व्यवहारिक रूप में मातृभाषा बोली प्रादेशिक भाषा राजभाषा राष्ट्रभाषा के रूप में जाना जाता है
1 मातृभाषा - एक बालक सबसे पहले मां के द्वारा बोले जाने वाले शब्दों को बोलना सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं
2 बोली - हमारे देश में ऐसा माना जाता है कि प्रत्येक 36 किलोमीटर की दूरी पर शब्द बदल जाते हैं और स्थानीय शब्दों का उपयोग होता है इनमें शुद्धता,अशुद्धता, शब्द या वाक्य विन्यास का कोई ध्यान नहीं रखा जाता तथा कोई विशेष शब्दकोश, व्याकरण नहीं होता तथा क्षेत्रीय व्यवहार में क्षेत्रीय शब्दों का उपयोग होता है उसे बोली कहते हैं
3 प्रादेशिक भाषा- किसी प्रदेश विशेष में बोले जाने वाली अथवा व्यवहार में आने वाली भाषा जिसका अपना एक अस्तित्व होता है स्वयं की लिपि होती है व्याकरण व साहित्य होता है, व्यवस्थित शब्दकोश होता है तथा संविधान के द्वारा भाषा के रूप में मान्य होती है
उदाहरण - गुजराती, मराठी, तमिल
4 राजभाषा - उस भाषा को किसी भी राज्य या राष्ट्र की राजभाषा कहा जाता है जिसमें वहां के सरकारी कामकाज होते हैं भारत देश में 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा बनाया गया तथा प्रतिवर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है
5 राष्ट्रभाषा - किसी भी राष्ट्र की राष्ट्रभाषा का गौरव उस भाषा को प्राप्त होता है जिसको बोलने वाले लोग कुल जनसंख्या के दो तिहाई तथा समझने वाले लोग तीन चौथाई होते हैं भारत देश में ऐसी कोई भाषा नहीं है
नोट - ncf-2005 के त्रिभाषा सूत्र से ऐसी उम्मीद लगाई जा सकती है कि आने वाले कुछ वर्षों के बाद हिंदी इस का दर्जा प्राप्त कर सकती है
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