समस्या समाधान
समस्या समाधान - समस्या समाधान उपागम हंट द्वारा दिया गया, यह उच्च स्तरीय उपागम माना जाता है इसमें सृजनात्मक चिंतन निहित रहता है
★ जब व्यक्ति के सामने समस्या उपस्थित होती है तो समस्या चिंतन को जन्म देती है तथा चिंतन के द्वारा व्यक्ति समस्या का समाधान खोजता है
★ समस्या समाधान एक वैज्ञानिक विधि है
■ बेरॉन के अनुसार- समस्या समाधान एक संज्ञानात्मक प्रक्रिया है इसमें विभिन्न अनुक्रियाओं को करने या उनमें से चुनने का प्रयास सम्मिलित रहता है ताकि वांछित लक्ष्य की प्राप्ति हो सके
समस्या समाधान के चरण
1 समस्या की पहचान करना
2 रूपरेखा तैयार करना
3 आंकड़ों का संकलन करना
4 उपकल्पनाओं का निर्माण करना
5 आंकड़ों का विश्लेषण करना
6 निष्कर्ष निकालना
समस्या समाधान की विधियां
1 यादृच्छिक अन्वेषण विधि - इस विधि में व्यक्ति समाधान के लिए प्रयत्न व त्रुटियों का सहारा लेता है
2 स्वतः शोध अन्वेषण विधि - इस विधि में व्यक्ति समस्या समाधान के लिए उन्हीं विकल्पों का चयन करता है जो उसे संगत प्रतीत होते हैं
मेटलिन के अनुसार - समस्या समाधान के तीन महत्वपूर्ण पहलू है
1 मौलिक अवस्था - समस्या की अवस्था
2 लक्ष्य अवस्था - समाधान की अवस्था
3 नियम - समस्या समाधान के बीच में किए गए कार्य जिसके माध्यम से लक्ष्य तक पहुंचा गया हो
प्रत्यक्षण - वुडवर्थ के अनुसार - प्रत्यक्षण ज्ञानेंद्रियों द्वारा वस्तुओं एंव वस्तुनिष्ठ तथ्यों को जानने की प्रक्रिया है
संवेदना - ज्ञानेंद्रियों के प्रभाव से मस्तिष्क तक पहुंचने की प्रक्रिया को संवेदना कहते हैं संवेदना मस्तिष्क की एक सामान्य व सरलतम प्रक्रिया है
★ ज्ञानेंद्रियों के आधार पर पांच प्रकार की संवेदना होती है परंतुुुु आधुनिक मनोवैज्ञानिको नेे सात संवेदनाओं ( आंख, कान, नाक, त्वचा, जिह्वा, दिशा संवेदना, संतुलन संवेदना ) के अस्तित्व को स्वीकार किया है
आत्म संप्रत्यय - व्यक्ति स्वयं के बारे में स्वयं की योग्यताओं, क्षमताओं, भावनाओं आदि के बारे में जो विचार रखता है वह उसके आत्म संप्रत्यय का निर्माण करते हैं
उदाहरण यदि कोई विद्यार्थी गणित में कमजोर है परंतु संगीत में निपुण है तो उसका स्व संप्रत्यय संगीत में गणित की तुलना में अच्छा व सकारात्मक होता है
एक नवजात में स्वयं के बारे में धारणा विकसित नहीं होती है
संप्रत्यय - संप्रत्यय पूर्व अनुभवों पर आधारित होता है, यह प्रत्येक देखी गई वस्तु का व्यक्ति के मन में नमूना या प्रतिमान होता है
संप्रत्यय का निर्माण
1 प्रत्यक्षीकरण
2 गुणों का विश्लेषण
3 तुलना
4 पृथक्करण
5 सामान्य करण
6 समस्या समाधान
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