भाषा शिक्षण के उपागम
भाषा शिक्षण के उपागम- किसी भी भाषा शिक्षण उपागम को समझना एक सैद्धांतिक दृष्टिकोण है की भाषा क्या है और इसे कैसे सीखा जा सकता है
◆ कुछ सिखाने का तरीका जो सीखने वालों की मदद के लिए कक्षा की गतिविधियों या तकनीक का उपयोग किया जाता है उपागम की श्रेणी में आता है
◆ उपागम शिक्षण विधियों को जन्म देता है
◆ शिक्षण विधियां उपागम पर आधारित होती है
■ वर्तमान समय में उपागम के अंतर्गत सिद्धांत और आधार सम्मिलित किए जाते हैं जिनका अनुसरण करते हुए पाठ्यक्रम का आयोजन किया जाता है और इन्हीं के आधार पर शिक्षण विधियों का चयन किया जाता है
◆ किसी भी पाठ को पढ़ाने के लिए एक पाठ योजना बनाई जाती है
■ पाठ योजना में बच्चों को पाठ समझाने के दृष्टिकोण हेतु अनेक शिक्षण विधियों का प्रयोग करते हैं
■ इस प्रक्रिया में पाठ योजना एक उपागम है और जिन तरीकों से उस पाठ योजना में शिक्षण कार्य करवाते हैं वह शिक्षण विधियां है
पाठ योजना उपागम- पाठ योजना का जन्म गेस्टाल्ट मनोविज्ञान से हुआ
◆ योजना से आशय किसी कार्य को करने से पहले सोचना विचारना और आवश्यकता और क्षमताओं के अनुरूप रूपरेखा तैयार करना ही योजना है
बाइनिंग एंड बाइनिंग के अनुसार - दैनिक पाठ योजना के निर्माण में उद्देश्यों को परिभाषित करना पाठ्यक्रम का चयन करना उसे क्रमबद्ध रूप में व्यवस्थित करना और प्रस्तुतीकरण की विधिया तथा प्रतिक्रियाओं का निर्धारण करना होता है
■ हर शिक्षक को अध्यापन से पूर्व लिखित या मौखिक पाठ योजना बनानी पड़ती है -
◆ पाठ्यवस्तु को कैसे प्रस्तुत किया जाए
◆ शिक्षण के उपरांत बालक में कौन-कौन से व्यवहार गत परिवर्तन संभव हो पाएंगे
◆ शिक्षण के दौरान शिक्षक व छात्र के मध्य कौन सी अंतर क्रिया होगी
◆ विषय वस्तु स्पष्ट करने हेतु शिक्षण सामग्री कौनसी व किस प्रकार की व कब उपयोग में ली जाएगी
◆ विद्यार्थी को विषय वस्तु के प्रति किस प्रकार आकर्षित किया जाएगा
◆ शिक्षण के बाद छात्र को गृह कार्य क्या दिया जाएगा
हिंदी में पाठ योजना का महत्व
★ विषय वस्तु को स्पष्ट करना
★ शिक्षण विधि का चयन करने में
★ सहायक सामग्री का चयन व निर्धारण में
★ पाठ से पूर्व शिक्षक की तैयारी में
★ समय का सदुपयोग करने में
★ मूल्यांकन में
★ गृह कार्य में
पाठ योजना के सोपान
1 परिचयात्मक सूचनाएं
2 उद्देश्य
3 सहायक सामग्री
4 पूर्वज्ञान
5 प्रस्तावना
6 प्रकरण
7 विषय वस्तु
8 श्यामपट्ट कार्य
9 मूल्यांकन
10 गृहकार्य
पाठ योजना की आवश्यकता
◆ कक्षा नियंत्रण एवं शिक्षक को प्रभावी व सफल बनाने के लिए
◆ शिक्षक के शिक्षण के लक्ष्य के उद्देश्यों को पूरा करने हेतु
◆ अध्यापक के आत्मविश्वास उत्पन्न करने के लिए
◆ विषय वस्तु के प्रस्तुतीकरण को क्रमिक रूप से निश्चित करने हेतु
◆ छात्रों की क्रियाओं के नियंत्रण तथा पुनर्बलन की विधियों के प्रयोग की परिस्थिति को निर्धारित करने के लिए
अच्छी पाठ योजना की आवश्यक बातें
● लचीलापन
● सहायक सामग्री का उचित प्रयोग
● विद्यार्थियों के स्तर के अनुसार
● व्यक्तिगत भिन्नता के पर आधारित
● उद्देश्यों की स्पष्टता
● शिक्षण सूत्रों का ज्ञान
● अध्यापक का विषय ज्ञान
● समय का ज्ञान
● गृह कार्य
पाठ योजना के उपागम
1 हरबर्ट उपागम- हरबर्ट की पंचपदी में 5 पद है
(A) प्रस्तावना - नवीन पाठ प्रस्तुत करने से पहले शिक्षक द्वारा छात्रों के पूर्व ज्ञान को जानने के लिए प्रसन्न चित्र मानचित्र आदि के द्वारा नवीन ज्ञान की ओर ले जाना प्रस्तावना है प्रस्तावना में अंतिम प्रश्न समस्यात्मक होना आवश्यक है जिसके उत्तर स्वरूप शिक्षक नवीन पाठ प्रस्तुत करता है
(B) प्रस्तुतीकरण - इस पद में उद्देश्य के साथ विषय को प्रस्तुत किया जाता है इसका प्रमुख उद्देश्य पाठ को छात्रों के सामने रखना है विषय वस्तु को दो तीन भागों में विभक्त करके प्रस्तावना के पश्चात प्रस्तुत किया जाता है
(c) तुलना - इस पद का मुख्य उद्देश्य विषय वस्तु को स्पष्ट करना है शिक्षण के दौरान जिन शब्दों या भावों को समझने में कठिनाई होती है उन शब्दों के भावों को स्पष्ट करने के लिए श्रव्य दृश्य सामग्री का प्रयोग करते हुए छात्रों के द्वारा अर्जित ज्ञान से वर्तमान पाठ की तुलना करते हुए विषय वस्तु को स्पष्ट किया जाता है
(D) सामान्यीकरण - इस पद का मुख्य उद्देश्य विषय वस्तु को सा रूप में स्पष्ट करना है पाठ की तुलना के पश्चात पाठ के निष्कर्ष पर पहुंचने का प्रयत्न किया जाता है
(E) प्रयोग - प्रयोग का मुख्य उद्देश्य ज्ञान को ज्ञान को स्थाई करना है इसमें अभ्यास कार्य करने के लिए गृह कार्य दिया जाता है गृह कार्य में लिखित व मौखिक दोनों प्रकार का होता है नए ज्ञान को व्यवहार में लाने के लिए छात्रों को अर्जित ज्ञान को उपयोग में लेने के योग्य बनाने के लिए इस सोपान को काम में लिया जाता है
2 मॉरीसन उपागम -मॉरीसन उपागम के प्रवर्तक एच सी मॉरीसन है
◆ मॉरिसन ने शिक्षण की एक प्रक्रिया योजना बनाई
◆ इसमें विद्यार्थी केंद्र बिंदु होता है
◆ मॉरिसन ने पाठ योजना को सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना है
◆ मॉरीसन का उपागम इकाई केंद्रित है
■ मॉरीसन ने हरबर्ट व किलपैट्रिक उपागम को संबंधित कर 5 सोपान निर्धारित किए-
1 अन्वेषण
2 प्रस्तुतीकरण
3 आत्मीकरण
4 व्यवस्था या संगठन
5 वर्णन
3 डी वी व किलपैट्रिक उपागम - इस के प्रवर्तक जॉन डीवी व किलपैट्रिक हैं
◆ इस उपागम में व्यवहारिक ज्ञान पर बल दिया जाता है
◆ इसमें विद्यार्थी स्वयं समस्या समाधान करते हुए नए अनुभव प्राप्त करता है
■ इस उपागम के निम्न सोपान है
1 परिस्थिति उत्पन्न करना
2 योजना का चुनाव करना
3 योजना की रूपरेखा तैयार करना
4 योजना का क्रियान्वयन करना
5 कार्य का परीक्षण तथा लेखा-जोखा तैयार करना
4 मूल्यांकन उपागम- प्रतिपादक - बी एस ब्लूम
इसे ब्लूम उपागम भी कहा जाता है
यह उद्देश्य केंद्रित होता है
◆ ब्लूम के अनुसार शिक्षा त्रिपदीय व्यवस्था है
1 शैक्षिक उद्देश्य
2 अधिगम के अनुभव
3 व्यवहार परिवर्तन का मूल्यांकन
5 भारतीय उपागम - भारतीय उपागम पर ब्रिटिश व अमेरिकन उपागम का प्रभाव है
यह एनसीईआरटी की पाठ योजना पर आधारित है
इस पाठ योजना के 3 पहलू है
1 शिक्षक उद्देश्य
2 शिक्षक क्रिया प्रक्रिया
3 छात्र मूल्यांकन
6 ब्रिटिश उपागम- इस उपागम में केंद्र बिंदु शिक्षक है ■ इस उपागम के अनुसार शिक्षक की प्रभावशाली क्रियाओं पर शिक्षण निर्भर करता है
◆ इस उपागम में शिक्षक की क्रिया जितनी अधिक प्रभावी होगी शिक्षार्थी उतनी ही भली प्रकार से सीखेगा
7 अमेरिकन उपागम - अमेरिकन उपागम में अधिगम उद्देश्यों पर बल दिया जाता है
◆ उद्देश्य को स्पष्ट और परिभाषित करने के बाद शिक्षक और विद्यार्थी की अंतर क्रियाओं को इस प्रकार व्यवस्थित किया जाता है कि निर्धारित उद्देश्यों को सरलता से प्राप्त कर सकें
◆अमेरिकन उपागम में - 1 उद्देश्य 2 व्यवहार 3 मूल्यांकन का प्रमुख स्थान होता है
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