गद्य शिक्षण की विधियां

 गद्य शिक्षण की विधियां

महत्व 

● शब्द भंडार में वृद्धि 

● सृजनात्मक क्षमता का विकास

● व्याकरण का ज्ञान 

● लिपि का ज्ञान 

● उच्चारण का ज्ञान 

● गद्य की विभिन्न विधाओं का ज्ञान

●  मानसिक बौद्धिक व तार्किक क्षमता का विकास


1 अर्थ कथन विधि - 

◆ इस विधि में अध्यापक गद्य का मौखिक पठन करता है पठन के साथ-साथ कठिन शब्दों के अर्थ बताए जाते हैं 

◆ अध्यापक अपनी ओर से सब कुछ बताता है विद्यार्थी निष्क्रिय श्रोता के रूप में रहते हैं 

◆ इस विधि में बच्चों को सोचने समझने का अवसर नहीं मिलता है

◆ बच्चों में न तो अर्थ ग्रहण क्षमता का विकास होता है और ना ही विचारों को अभिव्यक्त करने की क्षमता का विकास होता है इस कारण यह एक नीरस विधि है

2 समीक्षा विधि -

◆ इस विधि में गद्य के तत्वों का विश्लेषण कर उसके गुण दोष परखे जाते हैं 

◆ इस विधि में अध्यापक निष्क्रिय व छात्र सक्रिय रहता है यह स्वतंत्र विधि नहीं है बल्कि पूरक विधि है

 ◆ उच्च कक्षा में उपयोगी इस विधि में अध्यापक प्रश्नोत्तर व्याख्या एवं कथन के माध्यम से नाटक के तत्वो की समीक्षा करता है

3 विश्लेषण विधि-

◆ व्याख्या विधि में अध्यापक सब कुछ अपनी ओर से बताता है परंतु विश्लेषण विधि में अध्यापक सदैव विचारों की व्याख्या के लिए प्रश्न आदि का सहारा लेता है और बच्चों को स्वयं सोचने समझने व निर्णय लेने के अवसर प्रदान करता है 

◆ इस विधि में अध्यापक और छात्र दोनों सक्रिय रहते हैं 

◆ विश्लेषण विधि का दोष यह है कि सबकुछ विश्लेषण द्वारा स्पष्ट करना संभव नहीं है

4 व्याख्या विधि

◆ इस विधि में अध्यापक शब्दों का अर्थ ग्रहण के साथ-साथ शब्दों और विचारों की व्याख्या भी करता है विचारों को स्पष्ट करने के लिए अपनी ओर से उदाहरण देता है दृष्टांत देता है विषय वस्तु की जानकारी देता है वह छात्रों की शंकाओं का समाधान भी करता है इस विधि में अध्यापक अत्यधिक सक्रिय रहता है जबकि छात्र कम सक्रिय रहते हैं व्याख्यान विधि माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर के लिए उपयोगी है

कहानी शिक्षण की विधियां 

1 मौखिक कहानी कथन विधि- बच्चों को कहानी मौखिक रूप से सुनानी चाहिए जिससे कि श्रवण शक्ति का विकास हो सके 

● कहानी को इस प्रकार बालकों के सम्मुख उपस्थित करना चाहिए जिससे वे अधिक से अधिक बात ग्रहण कर सके

● यह प्राथमिक स्तर के लिए उपयोगी है

2 चित्र प्रदर्शन विधि-  इसमें कहानी से संबंधित चित्रों का निर्माण कर कहानी बताई जाती है

◆ यह प्राथमिक व उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए उपयोगी है

3 अधूरी कहानी पूर्ति विधि - इसमें छात्र अपनी कल्पना शक्ति से अधूरी कहानी को पूर्ण करने का प्रयास करता है 

◆ यह माध्यमिक व उच्च माध्यमिक कक्षाओं के लिए उपयोगी है

4 गहन अध्ययन विधि - कहानी में आए हुए कठिन शब्द मुहावरे लोकोक्ति आदि का ज्ञान विद्यार्थियों को कराते हुए  कहानी को पढ़ा जाता है

◆  यह उच्च माध्यमिक स्तर के लिए उपयोगी है

नाटक शिक्षण की विधियां 

1 कक्षाभिनय विधि- छात्र कक्षा में विभिन्न पात्रों के रूप में मानकर उचित भाव भंगिमा के साथ इस प्रणाली में अभिनय करते हैं 

◆ माध्यमिक स्तर पर नाटक पढ़ाने की यह सर्वश्रेष्ठ विधि है इसमें भाव के के साथ अभिनय करते हुए पठन का अवसर बालकों को मिलता है और आनंद का भी अनुभव करते हैं

◆ इस प्रणाली का सबसे बड़ा दोष यह है कि विषय वस्तु की जानकारी नहीं होती तथा इसमें नाटक की व्याख्या नहीं हो पाती

2 रंगमंचीय विधि- इस विधि में विद्यार्थियों को साज सज्जा के अनुसार अभिनय करना होता है

◆ रंगमंच पर नाटक को विविध पूर्वक खेलना जिससे पाठ के अंतर्गत आने वाले दृश्यो एंव संवादों से छात्र परिचित हो जाता है 

■ यह नाटक शिक्षण की सर्वश्रेष्ठ विधि है

■ इस प्रणाली का दोष यह है कि इसमें समय, श्रम व धन का व्यय अधिक होता है और विद्यालय के पास इसके लिए उचित साधन भी नहीं होते

3 आदर्श नाट्य प्रणाली-  इस प्रणाली में शिक्षक स्वयं को सभी पात्रों का अभिनय करके प्रस्तुत करता है 

◆ अध्यापक का अभिनय कला में दक्ष होना अनिवार्य है

◆ इस प्रणाली में कक्षा के छात्र श्रोता और दृष्टा दोनों बन जाते हैं 

◆ इसमें शिक्षक सक्रिय और छात्र क्रियाशील होते हैं

◆  इसमें सभी कार्य अध्यापक स्वयं करता है 

◆ विषय वस्तु की जानकारी न होना इसका एक दोष है

4 संयुक्त विधि-  यह नाटक शिक्षण की सभी विधियों का मिश्रण है इसमें व्याख्या भी की जाती है नाटकीय तत्वों की समीक्षा भी की जाती है और अभिनय तत्व की जानकारी भी दी जाती है

◆  विद्यालय स्तर पर नाटक शिक्षण की सर्वश्रेष्ठ विधि है


Note- नाटक का प्राण तत्व अभिनय कहलाता है

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