हिंदी शिक्षण विधियां- पद्य शिक्षण की विधियां

 शिक्षण विधि - किसी शिक्षक के द्वारा कक्षा कक्ष मैं अपने विषय वस्तु को पढ़ाने या प्रस्तुत करने का जो तरीका काम में लिया जाता है उसे शिक्षण विधि का जाता है 

◆ यह एक शिक्षक एवं कक्षा कक्ष को ही प्रभावित करता है जिसके कारण शिक्षण विधि का क्षेत्र सीमित माना जाता है 

शिक्षण प्रणाली - एक विद्यालय में सुबह से लेकर शाम तक जो गतिविधियां संचालित होती हैं उनके तरीके को ही शिक्षण प्रणाली कहा जाता है

◆  शिक्षण प्रणाली संपूर्ण विद्यालय को प्रभावित करती है जिसके कारण इसका क्षेत्र व्यापक माना जाता है

भाषा शिक्षण के रूप

1 पद्य  2 गद्य  3 व्याकरण   4 रचना 

पद्य शिक्षण के उद्देश्य 

◆ रसानुभूति

◆ कल्पना शक्ति का विकास

◆ कविता के प्रति रुचि व प्रेम उत्पन्न करना

◆ कविता सृजन की शक्ति उत्पन्न करना

◆ छंद अलंकार रस आदि का ज्ञान देना

◆ छात्रों को अपने देश की संस्कृति धर्म दर्शन आदि की जानकारी देना

पद्य शिक्षण की विधियां 

गीत विधि- अध्यापक बालकों को छोटे-छोटे बाल गीतों के माध्यम से कविता का शिक्षण कराता है 

◆ प्राथमिक स्तर के लिए उपयोगी है 

◆ गा गा कर कविता को सिखाया जाता है

◆ कविता शिक्षण की यह सर्वोत्तम प्रणाली मानी जाती है

 अभिनय विधि - बाल गीतों के साथ अभिनय करके कविता का शिक्षण दिया जाता है 

◆ प्राथमिक स्तर के लिए उपयोगी है 

◆ इस प्रणाली में कक्षा का वातावरण आनंदमयी बन जाता है तथा छात्र क्रियाशील बने रहते हैं परंतु कक्षा में अनुशासन बनाना भी आवश्यक है

प्रश्नोत्तर विधि - ऐतिहासिक महत्व या लंबी कविता को इस विधि से सिखाया जाता है 

◆ उच्च प्राथमिक स्तर के लिए उपयोगी है

◆ प्रश्नोत्तर विधि के जनक सुकरात माने जाते हैं

◆ कविता को खंडों में विभक्त कर प्रश्नोत्तर के माध्यम से अध्ययन किया जाता है

 अर्थबोध विधि - कविता में आए कठिन शब्दों के अर्थ बताते हुए गद्य की भांति पढ़ाया जाता है

◆ इसमें बालकों की रूचि तथा रसानुभूति का कोई ध्यान नहीं रखा जाता

◆  पद्य शिक्षण की सबसे नीरस विधि है

व्याख्या विधि - इसमें कविता की विस्तार से व्याख्या की जाती है 

इसके 3 चरण होते हैं - 1 प्रसंग 2 व्याख्या 3  विशेष 

◆ माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए उपयोगी है

◆ इसे शंका समाधान विधि भी कहते हैं 

व्यास विधि-  प्रवर्तक-  महर्षि वेदव्यास

◆ व्याख्या विधि का ही रूप है 

◆ इसमें समय बहुत अधिक लगता है इस कारण विद्यालय स्तर पर उपयुक्त नहीं है 

◆ इसके अंतर्गत अध्यापक पद्य को पूर्ण विस्तार के साथ अध्ययन करवाता है इस विधि में छात्र मात्र श्रोता स्वरूप ही रह जाता है 

◆ इस प्रणाली को अपनाने के लिए शिक्षक का ज्ञान विस्तृत और गंभीर होना चाहिए

◆ यह विधि माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर के लिए उपयोगी है 

तुलना विधि - व्याख्या विधि का ही रूप है

- इसमें अध्यापक छात्रों को समान समभाव वाली रचनाओं के साथ अध्ययन करवाता है या तुलना करके अध्ययन किया जाता है 

◆ तुलना 3 तरह की होती है- 

● कवि की अन्य रचना के साथ तुलना

● अन्य कवि की रचना के साथ तुलना 

● अन्य भाषा के कवि की रचना के साथ तुलना 

◆ इस विधि से अध्ययन कराने के लिए अध्यापक को स्वाध्यायी व पारंगत होना चाहिए

समीक्षा विधि - समीक्षा का अर्थ है अच्छी तरह देखना

◆ इसमें छात्र सक्रिय व अध्यापक निष्क्रिय होता है

◆ माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्तर के लिए उपयोगी है 

◆ इसके अंतर्गत अध्यापक छात्रों को संदर्भ ग्रंथों की जानकारी देता है 

 ◆ छात्र कठिन शब्दों के अर्थ अलंकारों की जानकारी व विषय वस्तु की समीक्षा करता है

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