पॉवलाव का सिद्धांत
अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत = प्रवर्तक पॉवलाव (रूस)
अन्य नाम -
◆ अनुकूलन सिद्धांत
◆ शास्त्रीय सिद्धांत
◆ अधिगम का प्राचीन सिद्धांत
◆ संबंध प्रत्यावर्तन सिद्धांत
◆ क्लासिकल थ्योरी
◆ C-R THEORY
◆ अनुबंधन सिद्धांत
■ पॉवलाव एक शरीर शास्त्री था
■ पॉवलाव को अनुबंधन का जनक माना जाता है
■ पॉवलाव को अनुबंधन के कारण ही 1904 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया
★पावलाव ने कुत्ते की लार ग्रंथि पर प्रयोग किया
अस्वाभाविक उद्दीपक ------------ स्वाभाविक क्रिया
Example
UCR(भोजन) --------- कुत्ता --------- UCR (लार)
CS(घण्टी) + UCR----कुत्ता ---------- UCR
CS----------------- कुत्ता----------- CR (लार)
पॉवलाव ने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन करते समय दो प्रकार की क्रिया बताई
1 स्वाभाविक
2 अस्वाभाविक
★ पावलाव के सिद्धांत में घंटी के माध्यम से लार का आना एक अस्वाभाविक क्रिया है अतः घंटी एक अनुकूलित या अनुबंधित या अस्वाभाविक उद्दीपक है
■ पावलाव के अनुसार अनुकूलित अनुक्रिया के लिए अनुबंधन का होना अति आवश्यक है
■ पुनरावृति के आधार पर निर्मित किया अनुबंधन कहलाती है
विलोपीकरण - अनुक्रिया में लंबे समय तक स्वभाविक उदीपक प्रस्तुत न करने पर अनुबंधन समाप्त हो जाता है अतः अनुबंधन समाप्त होने की प्रक्रिया विलोपीकरण कहलाती है
आदत का बनना अनुबंधन है जबकि आदत का छूटना विलोपीकरण है
उद्दीपक सामान्यकरण - पॉवलाव के अनुसार मिलती-जुलती परिस्थितियों में अनुक्रिया का प्रारंभ होना उद्दीपक सामान्यकरण कहलाता है
उदाहरण सांप देखने के बाद रस्सी से भी डर जाना
उद्दीपक विभेदीकरण - दो उद्दीपको में समानता - असमानता का पता लगाना उद्दीपक विभेदीकरण कहलाता है
समय कारक - पॉवलाव के अनुसार दो उद्दीपको के मध्य अनुबंधन कराने हेतु अधिकतम 5 सेकंड का ही अंतराल होना चाहिए इससे अधिक अंतराल होने पर अनुबंधन नहीं होगा
बुद्धि कारक - पॉवलाव के अनुसार मंदबुद्धि बालक को को अधिगम नहीं करवाया जा सकता, क्योंकि मंदबुद्धि बालकों में अनुबंधन करने की क्षमता नहीं होती
शैक्षिक महत्व
■पुनरावृति की क्रिया पर बल
■अच्छी आदतों के निर्माण में सहायक
■ जानवरों के प्रशिक्षण में सहायक
■ छोटे बालकों को सिखाने में सहायक
■अक्षर व भाषाई ज्ञान सिखाने में सहायक
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