शिक्षण अधिगम प्रक्रिया पार्ट 2
शिक्षण द्विमुखी प्रक्रिया- एडम्स महोदय ने शिक्षा को त्रिमुखी प्रक्रिया माना है जिसके दो ध्रुव निम्न है
1 शिक्षक
2 शिक्षार्थी
शिक्षण त्रिमुखी प्रक्रिया- जॉन डीवी के अनुसार शिक्षण त्रिमुखी प्रक्रिया है
शिक्षक व शिक्षार्थी के मध्य अंतः क्रिया होती है जो पाठ्यक्रम पर आधारित होती है अतः शिक्षण प्रक्रिया के तीन महत्वपूर्ण अंग निम्न है-
1 शिक्षक
2 शिक्षार्थी
3 पाठ्यक्रम
शिक्षक - शिक्षण प्रदान करने की महत्वपूर्ण धुरी
■ फ्रोबेल ने अपनी शिक्षा प्रणाली में शिक्षक को बालोद्यान का कुशल माली कहा है
■ रविंद्र नाथ टैगोर के अनुसार - एक अच्छा शिक्षक तभी अच्छा अध्यापन करवा सकता है जब वह स्वयं अध्ययनरत रहता हो, एक जलता हुआ दीपक की दूसरे दीपक को प्रज्वलित कर सकता है
कॉलसैनिक के अनुसार - शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षक विशेष को यह निर्णय करने में सहायता दे सकता है कि वह विशिष्ट परिस्थितियों में अपनी विशिष्ट समस्याओं का समाधान किस प्रकार करें
शिक्षक की कुशलता
विषय का पूर्ण ज्ञान हो
बालकों के प्रति प्रेम व सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करे
बालकों की समस्याओं को जानने वाला हो
शिक्षण सूत्रों व सिद्धांतों का ज्ञान हो
बालक का सच्चा मित्र वह पथ प्रदर्शक हो
शिक्षार्थी - शिक्षा मनोवैज्ञानिकों ने शिक्षार्थी को शिक्षा का केंद्र बिंदु मानाा है जिसकेेे चारों ओर शिक्षण प्रक्रियाा घूमती है
◆ आधुनिक विचारधारा में शिक्षा का नियोजन बालक केे लिए और बालक के अनुसार किया जाता है
◆ बालक का महत्व सर्वोपरि माना गया है
◆ अध्यनेता जीवन मानव जीवन का श्रेष्ठ काल माना जाता है
◆ अध्यनेता काल में ही शिक्षार्थी ज्ञानार्जन करता है
पाठ्यक्रम- पाठ्यक्रम शिक्षक और शिक्षार्थी को दिशा निर्देश प्रदान करता है
कनिंघम के अनुसार- पाठ्यक्रम कलाकार के हाथ में एक यंत्र है जिसके द्वारा वह सामग्री को अपने कलागृह में मोड़ता है
शिक्षण के चर
1 स्वतंत्र चर
2 आश्रित चर
3 मध्यस्थ चर
शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक-
1 शिक्षण उद्देश्य
2 कक्षा कक्ष की संवेगात्मक स्थिति
3 विद्यालय वातावरण व प्रभावशीलता
4 कक्षा कक्ष का मनोवैज्ञानिक वातावरण
5 भौतिक संसाधन
6 शिक्षण सामग्री
7 शिक्षक का व्यक्तित्व व कुशलता
8 बालक का व्यक्तित्व
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