बाल विकास के आयाम -सामाजिक विकास
सामाजिक विकास :
◆ समाज द्वारा मान्य व्यवहारों को स्वीकार कर अमान्य व्यवहारों को त्यागने की प्रक्रिया ही सामाजिक विकास कहलाती है
★ अपराधिक कार्यों के अतिरिक्त समाज के आदर्शों की पालना ही सामाजिक विकास कहलाता है
शैशवावस्था में सामाजिक विकास :
● इस अवस्था में सामाजिक गुणों का अभाव पाया जाता है
● इस अवस्था में बालकों को सामाजिक संबंधों का ज्ञान नहीं होता
● इस अवस्था में बालकों में नैतिक गुणों का बाप पाया जाता है
● इस अवस्था में बालक अनुकरण द्वारा सीखने का प्रयास करता है
● बालकों में सर्वप्रथम सामाजिक गुणों की नींव माँ द्वारा रखी जाती है
● इस अवस्था में बालकों को बाह्य वातावरण का ज्ञान नहीं होता
बाल्यावस्था में सामाजिक विकास:
● सामाजिक विकास की यह एक महत्वपूर्ण अवस्था है
● बालकों में सर्वाधिक सामाजिक गुणों का विकास इसी अवस्था में होता है
● इस अवस्था में बालक शिक्षक के सर्वाधिक नजदीक होता है
● इस अवस्था में बालकों में टोली की भावना का विकास हो जाता है
● बालकों में सामाजिक गुणों का विकास सर्वाधिक खेल के मैदान में होता है तथा इस अवस्था में बालकों की खेल में सर्वाधिक रूचि होती है
● इस अवस्था में बालकों को सामाजिक संबंधों का ज्ञान हो जाता है
किशोरावस्था में सामाजिक विकास:
● इस अवस्था में बालकों में समाजिक कार्यों में सर्वाधिक रुचि पाई जाती है
● देश प्रेम की भावना बढ़ जाती है
● ईश्वर वह धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है
● नेतृत्व क्षमता में प्रतियोगी भावना का विकास हो जाता है
● वीर पूजा की भावना का विकास हो जाता है
● उत्तराधिकार की भावना का विकास हो जाता है
◆ इस अवस्था में बालकों को समायोजन की समस्याओं से गुजरना पड़ता है
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