मनोलैंगिक विकास सिद्धांत

 मनोलैंगिक विकास सिद्धांत 

प्रतिपादक - सिगमंड फ्रायड 
● सिगमंड फ्रायड बाल विकास का आधार लैंगिक ऊर्जा, कामुकता, लिबिडो को मानते थे परंतु इस बात से उनके शिष्य कार्ल युंग सहमत नहीं थे और उन्होंने विश्लेषणात्मक सिद्धांत का प्रतिपादन किया
 ■ सिगमंड फ्रायड ने मनो लैंगिक विकास की 5 अवस्थाये बताई-
1 = मुखावस्था-  0 से 1वर्ष
● लैंगिक उर्जा बालक के मुख में होती है 
● बालक प्रत्येक वस्तु को मुख में लेने की कोशिश करता है

2=  गुदावस्था- 1 से 3 वर्ष 
●इस अवस्था में लैंगिक उर्जा बालक के गुदीय क्षेत्र में पाई जाती है लैंगिक उर्जा के प्रभाव से बालक आक्रामक, जिद्दी व धारणात्मक प्रवृत्ति का हो जाता है

3= केंद्रीय अवस्था - 3 से 6 वर्ष 
●इस अवस्था में लैंगिक उर्जा बालकों में केंद्र की ओर अग्रसर होती है 
इनमें इलेक्ट्रा व औडिपस ग्रंथि का विकास हो जाता है

4= अदृश्य अवस्था- 7 से 12 वर्ष
● इस अवस्था में बालकों में लैंगिक ऊर्जा निष्क्रिय हो जाती है इस कारण उसमें  समलैंगिक प्रेम पाया जाता है
 लैंगिक ऊर्जा मार्गान्तरित  होकर रचनात्मक कार्यों की ओर अग्रसर हो जाती है

5= जननेंद्रिय अवस्था - 12  वर्ष के बाद 

●  इसमें विषमलिंगी प्रेम की प्रधानता हो जाती है
● सिगमंड फ्रायड के अनुसार इस अवस्था में कामुकता संतानोत्पत्ति की ओर अग्रसर होती है

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