जीन पियाजे का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान

जीन पियाजे का शिक्षा के क्षेत्र में योगदान

    जीन पियाजे ने बाल केंद्रित शिक्षा प्रणाली पर बल दिया जीन पियाजे ने स्कीमा के समान समान बुद्धि की तुलना कर एक नवीन आयाम प्रस्तुत किया

 जीन पियाजे ने लिखा कि शिक्षकों को बालक  की समस्याओं का तत्काल समाधान कर अधिगम योग्य वातावरण का निर्माण करना चाहिए

 जीन पियाजे ने शिक्षा के क्षेत्र में नवीन संप्रत्यय प्रस्तुत किए

1 अनुकूलन - बालकों द्वारा वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करने की प्रक्रिया अनुकूलन कहलाती है इस प्रक्रिया में व्यक्ति स्वयं को वातावरण के अनुसार डालने में सफल हो जाता है 
जीन पियाजे ने अनुकूलन की दो प्रक्रिया बताई 1आत्मसात करण 2 समायोजन 

2 साम्यधारण-   आत्मसातकरण एवं समायोजन के मध्य संतुलन बनाने की प्रक्रिया साम्यधारण कहलाती है 
इस प्रक्रिया में पूर्व अनुभव एवं वातावरण के साथ संतुलन का प्रयास किया जाता है

3- संरक्षण - वातावरण में होने वाले परिवर्तन के कारण किसी वस्तु के मूल स्वरूप में होने वाले परिवर्तन को वस्तु के मूल स्वरूप से अलग कर पहचानने की प्रक्रिया सरंक्षण चलाती है

4- संज्ञानात्मक संरचना - बालकों की मानसिक संरचना का सेट संज्ञानात्मक सरंचना कहलाता है, इस संप्रत्यय में बालकों की मानसिक योग्यता का निर्धारण किया जाता है

5 मानसिक संक्रिया - बालकों के द्वारा किसी समस्या का समाधान करने हेतु चिंतन करने की प्रक्रिया मानसिक संक्रिया कहलाती है इस संपत्ति में बालकों की समस्या समाधान की योग्यता का निर्धारण होता है

6- स्कीम्स- किसी व्यवहार को बार-बार एक ही रूप में दोहराने का पैटर्न ही स्कीम्स कहलाता है

7 स्कीमा- बालक बालिकाओं की मानसिक संरचना का व्यवहार गत परिवर्तन सीमा कहलाता है 
या 
बालकों की मानसिकता का ज्ञानात्मक पैकेट स्कीमा कहलाता है 
या 
किसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु स्वयं की मानसिक संरचना में परिवर्तन करने की प्रक्रिया स्कीमा कहलाती है
 जैसे डाकू रत्नाकर का बाल्मीकि बनना

8 विकेन्द्रण - किसी भी विषय वस्तु के संदर्भ में वस्तुनिष्ठ या वास्तविक रूप से चिंतन करने की प्रक्रिया विकेन्द्रण  कहलाती है
■ जीन पियाजे को स्कीमा संप्रदाय का जनक माना जाता है

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