बाल विकास की अवस्थाएं -बाल्यावस्था

 बाल्यावस्था : 

 ★ बाल्यावस्था को जीवन का निर्माणकारी काल कहते हैं क्योंकि इस अवस्था में बालकों की आदतों, रुचियां एवं नवीन व्यवहारों का निर्माण होता है 

★ सामाजिक दृष्टि से भी यह एक महत्वपूर्ण काल है क्योंकि सर्वाधिक सामाजिक विकास इसी अवस्था में होता है

★ वैदिक साहित्य में बाल्यावस्था को ग्रहण एंव धारण की अवस्था कहा गया

परिभाषा

■  सिंपसन /ब्लेयर  के अनुसार - बाल्यावस्था वह दशा है जिसमें बालकों के दृष्टिकोण, मुल्यो, आदतों का विकास होता है

कॉल- ब्रुश के अनुसार- बाल्यावस्था जीवन का अनोखा काल है 

किलपैट्रिक के अनुसार- बाल्यावस्था प्रतिद्वंधात्मक  समाजीकरण की अवस्था है

स्ट्रेंग के अनुसार - एक 10 वर्ष के बालक के द्वारा ऐसा कोई खेल नहीं है जो उसने नहीं खेला हो

रॉस के अनुसार - बाल्यावस्था  मिथ्या परिपक्वता का काल है

उपनाम 

●खेल की आयु 
●जीवन का निर्माणकारी काल
●गंदी अवस्था 
●मूर्त चिंतन की अवस्था 
●शैक्षिक काल 
●वस्तु संग्रहण की दशा
●वैचारिक क्रिया की अवस्था

बाल्यावस्था की विशेषताए

★ शारीरिक विकास में स्थिरता आ जाती है
★ मानसिक क्रियाओं की अधिकता हो जाती है
★ सामाजिक गुणों का विकास हो जाता है
★ नैतिक गुणों का विकास हो जाता है
★ बहिर्मुखी व्यक्तित्व
★ हीन भावना का विकास हो जाता है
★ पक्षपात की भावना विकसित हो जाती है
★ समलिंगी प्रेम

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